स्टीफन बांदेरा के लिए मशाल लेकर निकले लोग, यहूदियों की हत्या के जिम्मेदार

उन्होंने सोवियत साम्यवाद (Soviet Communism) का विरोध किया था.

Update: 2022-01-02 15:00 GMT

दूसरे विश्व युद्ध में यहूदियों सहित बाकी देश के लोगों का नरसंहार करने वाले नाजियों को आज की दुनिया राक्षसों की तरह मानती है. लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी, कि कुछ लोग आज भी नाजियों के समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं. जिन्होंने लाखों लोगों की बेरहमी से केवल इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि या तो वो यहूदी थे या यहूदियों का साथ दे रहे थे. यूक्रेन की राजधानी कीव में एक बार फिर स्टीफन बांदेरा (Stepan Bandera) के जन्मदिन के मौके पर लोग हाथों में मशाल लेकर सड़कों पर दिखाई दिए. बांदेरा ने दूसरे विश्व युद्ध में नाजी सैनिकों का साथ दिया था.

ये रैली रविवार को ऐसे वक्त पर निकाली गई है, जब बड़ी संख्या में रूसी सैनिक यूक्रेन से लगने वाली सीमा पर तैनात हैं. ऐसी आशंका है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है. पूर्वी यूक्रेन का एक बड़ा हिस्सा साल 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण में है (Russia Ukraine Situation). राष्ट्रवादी पार्टी के नेता एंड्रे तारासेन्को ने कहा, 'आज जब सामने वाले (रूस) के साथ युद्ध हो रहा है, और देश के भीतर भी संघर्ष जारी है, हम स्टीफन बांदेरा को याद कर रहे हैं और उनका सम्मान करते हैं.'
यूक्रेन की विद्रोही सेना का नेतृत्व किया
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, बांदेरा ने यूक्रेन की विद्रोही सेना (Ukrainian Insurgent Army) का नेतृत्व किया था. जिसके लड़ाकों ने नाजी सेना के साथ मिलकर रेड आर्मी और कम्युनिस्टों के खिलाफ लड़ाई करते हुए महिलाओं और बच्चों सहित हजारों यहूदियों और पोलैंड के लोगों को मार दिया था. बांदेरा के समर्थकों का दावा है कि उन्होंने सोवियत सेना के खिलाफ जाकर नाजियों का साथ इसलिए दिया, ताकि एडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) यूक्रेन को स्वतंत्रता दिला सकें.
2014 के बाद हिमायती बने लोग
यूक्रेन की जनता साल 2014 में हुई क्रांति के बाद से बांदेरा और उनके जैसे लोगों के प्रति अधिक हिमायती बनी हुई है. तब यहां क्रांति हुई थी, जिसके चलते तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovych) की सरकार गिर गई. ऐसा कहा गया कि वह रूस की कठपुतली हैं और तभी से देश में रूस के साथ सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ. यहूदियों के हत्यारों सहित नाजी सहयोगियों के प्रति लोगों का लगाव पूर्वी यूरोप में तेजी से बढ़ता दिख रहा है. जहां बहुत से लोग ऐसे व्यक्तियों को सिर्फ इसलिए नायक मानते हैं क्योंकि उन्होंने सोवियत साम्यवाद (Soviet Communism) का विरोध किया था.


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