Pak के आतंकवाद और अराजकता से उठा पर्दा, 1200 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों की हत्या का लगा आरोप
पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों ने कुल 1200 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों की हत्या की है। इंडस फ्रीडम ग्रुप के अनुसार जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट (जेएसएफएम) के संस्थापक जफर साहितो ने शनिवार को कहा कि जेएसएफएम के 55 प्रमुख नेताओं की भी हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और अराजकता का केंद्र है।
स्वतंत्र बलूचिस्तान की उठी मांग
जफर ने कहा कि न केवल सिंधी प्रतिनिधियों बल्कि राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले बलूच, पश्तून और गिलगित-बाल्टिस्तानी नेताओं की भी हत्या की गई। इस बीच रोड आइलैंड हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के दो बार के पूर्व सदस्य राबर्ट लैंसिया ने पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों, बलूचों के उत्पीड़न का विरोध करते हुए कहा कि स्वतंत्र बलूचिस्तान पूरे क्षेत्र के साथ-साथ अमेरिका के हित में है।
पाकिस्तान में इस्लामवाद हावी
जफर ने कहा कि पाक में 1971 के नरसंहार का मूल कारण और बांग्लादेश के अलगाव के कारण अभी भी बरकरार हैं। यहां पाकिस्तानी इस्लामवाद के चलते धार्मिक फासीवादी विचारधारा है। उन्होंने दोहराया कि यह न केवल पाकिस्तान के अपने अल्पसंख्यकों या अपने पड़ोसियों को सताता है बल्कि यह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और अराजकता का बुनियादी ढांचागत केंद्र बनाता है।
गिलगित-बाल्टिस्तानी नेताओं की हो रही हत्या
साहितो ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पैनल चर्चा के दौरान यह बयान दिया, जो शनिवार को सिंधु स्वतंत्रता समूह द्वारा बांग्लादेश की मुक्ति और पाकिस्तानी सेना के हाथों 1971 के नरसंहार को चिह्नित करने के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने न केवल सिंधी प्रतिनिधियों बल्कि राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले बलूच, पश्तून और गिलगित-बाल्टिस्तानी नेताओं की हत्या की भी चर्चा की।
1971 के नरसंहार को स्वीकारे पाक
इस बीच, रॉबर्ट लैंसिया ने पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों के व्यवस्थित उत्पीड़न और इसी तरह जातीय बलूच लोगों का उल्लेख किया। बांग्लादेश में 1971 के नरसंहार के बारे में बात करते हुए लैंसिया ने कहा कि पाकिस्तानी सेना द्वारा 3 मिलियन से अधिक बांग्लादेशियों के नरसंहार को स्वीकार करने की आवश्यकता है।