पाकिस्तान की इमरान सरकार ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान के साथ बातचीत की शुरू, अपनों ने ही घेरा
इस्लामाबाद को अफगान मुद्दे को अधिक सरल बनाने से बचने के लिए कहा है।
पाकिस्तान की इमरान सरकार ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के साथ बातचीत शुरू कर दी है। इस फैसले से इमरान सरकार के विपक्षी पार्टियां और जनता के निशाने पर आ गई है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इमरान खान ने कहा था कि सरकार टीटीपी सदस्यों को माफ करेगी और अगर वे हथियार डालेंगे तो वे सामान्य नागरिक बन जाएंगे।
इमरान खान के इस बयान पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने इमरान खान को प्रतिबंधित टीटीपी के साथ बातचीत करने के लिए फटकार लगाई है। पीपीपी ने इस फैसले को "मृत पाकिस्तानी सैनिकों के परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने" के समान बताया। इस मुद्दे को पीपीपी ने पाकिस्तान की संसद मे भी उठाया।
एएनआई की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान में वकालत और अनुसंधान समूह के निदेशक उसामा खिलजी ने कहा कि कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों ने युद्धविराम की पेशकश की है, लेकिन उनके अपराधों को कभी माफ नहीं किया जाना चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तानी नागरिकों का जीवन प्रधानमंत्री के लिए अधिक मूल्यवान नहीं है, जिन्होंने आतंकवादी समूहों के साथ बातचीत की वकालत करना जारी रखा है।
बता दें कि पाकिस्तान में लगभग एक दशक तक आतंकवाद ने कहर बरपाया, जिसमें 80,000 से अधिक पाकिस्तानी नागरिक, पुलिसकर्मी, सैनिक और बच्चे मारे गए। उसामा खिलजी का कहना है कि प्रधानमंत्री इमरान खान को कसाइयों को इतनी आसानी से माफ करने का अधिकार नहीं है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीपी के महासचिव नैय्यर बुखारी ने कहा कि टीटीपी के साथ बातचीत के बारे में खान की घोषणा एक बहुत संवेदनशील बयान है। उन्होंने यह भी मांग की कि इस पर चर्चा के लिए संसद का एक सत्र तुरंत बुलाया जाना चाहिए। सवाल किया कि संसद और राजनीतिक दलों को टीटीपी के साथ बातचीत के बारे में बेखबर क्यों रखा गया?
बता दें कि तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को सावधानी से चलने के लिए आगाह किया है और इस्लामाबाद को अफगान मुद्दे को अधिक सरल बनाने से बचने के लिए कहा है।