पाकिस्‍तान की नजर FATF पर टिकी, क्‍या ग्रे लिस्‍ट की चंगुल से मुक्‍त होगा पाक?

प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने का दबाव बनाता रहा है।

Update: 2022-02-12 09:10 GMT

पाकिस्‍तान की नजर इस महीने होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी (FATF) पर टिकी है। एफएटीएफ की बैठक 21 से 25 फरवरी तक चलेगी। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की नजरें पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने या बाहर आने पर रहेगी। इसके अलावा इमरान को एक और बड़ी चिंता सता रही है कि एफएटीएफ कहीं उसे ब्‍लैक लिस्‍ट न कर दे। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या पाकिस्‍तान ने उन मानकों को पूरा कर लिया है, जो ग्रे लिस्‍ट से बाहर हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दे। विशेषज्ञ का मानना है कि एफएटीएफ की मीटिंग में बहुत सख्ती से इस बात पर गौर किया जाएगा कि इमरान सरकार ने टेरर फाइनेंसिंग और बड़े आतंकियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की और इसके सबूत कहां हैं ? अगर पाकिस्‍तान सबूत मुहैया नहीं कराता तो अन्‍य चार साल बाद भी उसका ग्रे लिस्ट में रहना तय है। मीटिंग 21 से 25 फरवरी तक चलेगी।

1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि इस बार एफएटीएफ इस बात को बहुत बारीकी से देखेगा कि इमरान सरकार ने पाक‍िस्‍तान में मौजूद हाफ‍िज सईद और दूसरे बड़े आतंकियों के खिलाफ कितने मजबूत केस तैयार किए और उन्‍हें सजा दिलाने के लिए कितनी ठोस कार्रवाई की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी लांड्रिंग को लेकर पाकिस्‍तान को खुद सबूत देने होंगे। पिछले वर्ष अक्‍टूबर में एफएटीएफ ने बिल्‍कुल साफ किया था कि पाकिस्‍तान सरकार खुद साबित करे कि उसने क्‍या कार्रवाई की है।
2- प्रो.पंत का कहना है कि इस बार बात जुबानी नहीं होगी। उन्‍होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान के कई मंत्री और अफसर यह दावा करते हैं कि उन्होंने टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग के खिलाफ ठोस कदम उठाए हैं। पाकिस्‍तान सरकार को यह यह दावे सबूतों के साथ साबित करने होंगे और फिर एफएटीएफ इसकी जांच करेगा। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियों ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे टेरर फाइनेंसिंग को रोके जाने के सबूत मिलें।
3- उन्‍होंने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ नए सबूत भी मिले हैं। हाल ही में पाकिस्तान की टिकटाकर हरीम शाह ने लाखों ब्रिटिश पाउंड के साथ एक वीडियो जारी किया था। इसके अलावा दूसरा मामला पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसीज द्वारा कथित तौर पर नीदरलैंड्स में एक पाकिस्तानी ब्लागर की सुपारी देने से जुड़ा है। इसके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, स्वीडन, जर्मनी और कनाडा में आइएसआइ की हरकतों से जुड़े कुछ सबूत एफएटीएफ के पास हैं। इसलिए पाकिस्तान अगर ब्लैक लिस्ट भी हो जाता है तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
4- उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा प्रमुख हाफि‍ज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर भारत की वां‍टेड लिस्‍ट में भी शामिल हैं। दरअसल पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। भारत लगातार अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने का दबाव बनाता रहा है।


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