कोरोना की आहट के बीच पाकिस्तान का खजाना हुआ खाली

Update: 2022-12-22 15:41 GMT

इस्लामाबाद । चीन के दम पर गीदड़भभकी देने वाले पाकिस्तान की कोरोना की आहट से पहले ही फिर से हालत पस्त होती दिख रही है। पाकिस्तान में न केवल दवाओं को लेकर हाहाकार मचा हुआ है बल्कि उसका खजाना खाली हो गया है। पाकिस्तान में जीवन रक्षक दवाओं की किल्लत हो चुकी है। हालात इतनी खराब हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए इंसुलिन तक मिलना मुश्किल हो गया है। दरअसलपाकिस्तान के खजाने में केवल 6.7 अरब डॉलर हैं शाहबाज सरकार की मजबूरी ऐसी कि इन्हें भी वहां खर्च नहीं कर सकती क्योंकि ये पैसा दूसरे देशों ने बतौर गारंटी डिपॉजिट कराया है। यही वजह है कि पाकिस्तान भारत सहित दूसरे देशों से रॉ मटैरियल या रेडीमेड मेडिसिन भी नहीं खरीद पा रहा है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान न केवल सामान्य दवा बल्कि मधुमेह रोगियों यानी डायबिटीज के मरीजों के लिए इंसुलिन की कमी का सामना कर रहा है कराची में मेडिकल मार्केट में दवाओं की कमी की वजह से हाहाकार मचा है। पाकिस्तान में जो दवाएं मौजूद हैं उनकी एक तरह से कालाबाजारी हो रही है। दवा दोगुनी कीमत पर बिक रही है। इतना ही नहीं मार्केट में घटिया स्तर की दवाओं की भी भारमार हो चुकी है। पाकिस्तानी फार्मा इंडस्ट्री का कहना है कि अगर जल्द ही मेडिसिन अथवा इसके रॉय मैटेरियल का इम्पोर्ट शुरू नहीं किया गया तब पाकिस्तान में हालात बेहत खराब हो सकते हैं और दवा के लिए चारों ओर हाहाकार मच जाएगा।

रिपोर्ट में बताया गया हैं कि पाकिस्तान में दवाओं को अत्यधिक कीमतों पर बेचा जा रहा है। पाकिस्तान में मौजूदा समय में स्थिति यह है कि घरेलू दवा कंपनियां कालाबाजारी में जुट चुकी हैं जबकि कई विदेशी कंपनियों ने निवेश की तुलना में कम मुनाफे की वजह से पाकिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है। इस तरह पाकिस्तान में दवा की लिए हाहाकार की दो वजहें हैं एक कालाबाजारी और दूसरा मेडिसिन का इम्पोर्ट न होना। पाकिस्तान में नकली और घटिया दवाओं की भी बड़ी खेप उतार दी गई है।

दावा किया गया हैं कि दवा कंपनियों को एलसी यानी लाइन ऑफ क्रेडिट की कमी से जूझना पड़ रहा है। पाकिस्तान में दवा कंपनियों के लाइन ऑफ क्रेडिट (इम्पोर्ट के लिए फंड) नहीं खुलने से दवा का उत्पादन बंद होने का खतरा बढ़ गया है। डॉलर की कमी के कारण बैंकों ने एलसी खोलने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है और चीनभारत अमेरिका और पश्चिमी यूरोप से रॉ मैटेरियल के ऑर्डर अटके हुए हैं। जब तक डॉलर नहीं होगा तब तक इम्पोर्ट नहीं हो सकेगा। बता दें कि पाकिस्तान में दवा के लिए रॉ मैटेरियल इन्हीं देशों से आते हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान में दवाओं की किल्लत हो गई है।

वहीं दवा कंपनियों ने आशंका जाहिर की हैं कि अगर उन्हें कच्चा माल नहीं मिला तब वे 60 रुपये में भी 40 रुपये की दवा की आपूर्ति नहीं कर सकेगी। दवा के थोक बाजारों में कमी होने लगी है जिसके परिणामस्वरूप कालाबाजारी भी जमकर हो रही है। पाकिस्तान में दवा की कमी से मानवीय त्रासदी हो सकती है। लाइफ सेविंग इस बीच निकट भविष्य में पाकिस्तान में दवाओं खासकर आवश्यक और जीवन रक्षक दवाओं की कमी के डर से नेशनल हल्थ सर्विस ने वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है और कहा है कि उसके पास रॉ मैटेरियल खरीदने के लिए डॉलर नहीं हैं जिससे समस्या का समाधान किया जा सके। एनएचएस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पाकिस्तान के ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी (डीआरएपी) की सिफारिशों पर वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है. बता दें कि ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चेतावनी दी थी कि दवाओं के कच्चे माल और दवाओं के उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य उत्पादों को आयात करने में असमर्थता हो सकती है।

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