पाकिस्तानी तालिबान का हौसला बढ़ा, पाक को भुगतना पड़ सकता है नतीजा
पाकिस्तान दुनिया का पहला देश है, जिसने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर खुशी जताई थी।
पाकिस्तान दुनिया का पहला देश है, जिसने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर खुशी जताई थी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान की सफलता को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत पाक को है, क्योंकि भविष्य में उसे भी तालिबानी शासन का खौफनाक नतीजा भुगतना पड़ सकता है।
अमेरिका में 2008 से 2011 तक पाकिस्तान के राजदूत रहे और अमेरिका के थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट के दक्षिण और मध्य एशिया के निदेशक हुसैन हक्कानी का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से पाक तालिबान का हौसला बढ़ा है। लड़ाकों की ताकत देख पाकिस्तानी तालिबान के लड़ाके भी अपनी संख्या बढ़ाना चाहेंगे। अफगानिस्तान के पश्तून जो पाक के करीब है, वहां ऐसा देखने को मिला है, जो पाक के लिए एक नई समस्या बन सकता है।
तालिबान को मान्यता न देना पाक के लिए कठिन
हुसैन बताते हैं कि पाक सरकार के रवैये सेे तो स्पष्ट है कि वो तालिबान से हर तरह के समझौते के लिए तैयार हो जाएगा। पाक द्वारा तालिबान को मान्यता न देना बहुत कठिन है। ऐसे में पाकिस्तान एक विनाशकारी जीत की ओर बढ़ जाएगा। पाक तालिबान के साथ मिलकर अपने पड़ोसी मुल्कों के खिलाफ लड़ाई लड़ने की मंशा रखता है जो मुश्किल है।
टीटीपी पश्तूनी भी खतरनाक : पश्तून नस्ल के लोग मूल रूप से अफगानिस्तानी हैं, जो उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में है। यही अंतरराष्ट्रीय सीमा दोनों देशों को अलग करती है। काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन्स के अनुसार अफगानी तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पश्तूनी हैं, जो खतरा पैदा कर सकते हैं।
पाकिस्तान की सत्ता भी हिला सकते हैं लड़ाके
अमेरिका में ब्रुकिंग इंस्टीट्यूशन्स के विदेश मामलों के विशेषज्ञ मादिहा अफजल का कहना है कि अफगान व पाक तालिबान का आपस में संबंध है ये तो स्पष्ट हो चुका है। इस आधार पर पाक को सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि अफगानिस्तान में लौटने वाला तालिबान पाकिस्तान की सत्ता भी हिला सकता है, वो भी तब जब उसकी विचारधारा के लड़ाके पाक में पहले से हैं।
पाक तालिबान का अगला आसान शिकार : हक्कानी का कहना है कि तालिबान अभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने की कोशिश में हैं। अगर वे इसमें कामयाब नहीं होता है, तो पाकिस्तान तालिबान का सबसे आसान शिकार होगा।