इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना का कहना है कि उसने 2024 में पूरे पाकिस्तान में 59,775 ऑपरेशन किए जिनमें 925 आतंकवादी मारे गए और 383 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई। यह दावा ऐसे समय में किया गया है कि जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है और दोनों पक्ष सीमा पर सैनिक झड़पों में उलझे हुए हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक अहमद शरीफ चौधरी ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि ऑपरेशन के दौरान प्रतिबंधित 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' और अन्य आतंकवादी समूहों के 73 'हाई-वैल्यू वाले टारगेट' मारे गए।
चौधरी ने कहा, "इस साल पिछले पांच वर्षों के मुकाबले सबसे अधिक संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया गया है।" आईएसपीआर प्रमुख ने कहा कि इस साल पाकिस्तान की सेना, कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों और पुलिस की ओर से रोज 179 से अधिक ऑपरेशन किए गए।
चौधरी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने आतंकवाद विरोधी प्रयासों और सीमा सुरक्षा प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने तस्करी, ड्रग्स तस्करी, बिजली चोरी और जमाखोरी से निपटने के लिए अपने अभियानों का विस्तार किया है। अधिकारी ने कहा, "सेना और कानून प्रवर्तन एजेंसियां आतंकवादियों से लड़ती हैं, लेकिन राष्ट्र आतंकवाद से लड़ता है।" समाज के सभी वर्ग और राजनीतिक दल इस मोर्चे पर एकजुट हैं।
एक ओर जहां पाकिस्तानी सेना यह दावा कर रही है वहीं इस बीच पाकिस्तान की सीमा से लगे पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त और पक्तिका प्रांतों में भीषण झड़पें जारी हैं। सीमा चौकियों पर हुए भीषण संघर्ष में 19 पाकिस्तानी सैनिक और तीन अफगान नागरिकों की मौत हो गई। यह झड़पें मंगलवार रात को पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के बाद हुई हैं। हवाई हमले में महिलाओं और बच्चों सहित 51 लोग मारे गए।
इस्लामाबाद और काबुल के बीच दुश्मनी की सबसे बड़ी वजह तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी या पाकिस्तानी तालिबान) है। टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी अभियान चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है। मीडिया रिपोट्स् के मुताबिक यह पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को हटाकर इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के आधार पर एक कट्टरवादी शासन की नींव रखना चाहता है। हाल के दिनों में, इस्लामाबाद ने बार-बार अफगान सरकार पर सशस्त्र समूहों, विशेष रूप से टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाया है। हालांकि काबुल इस आरोप को खारिज करता रहा है।