सार्क सम्मेलन की मेजबानी करेगा पाक, भारत भी वर्चुअली हो शामिल
अगर वह इस्लामाबाद आने के लिए तैयार नहीं है तो वह इस सम्मेलन में आनलाइन भाग ले सकता है
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश 19वें सार्क सम्मेलन की मेजबानी करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत अगर इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं आना चाहता है तो वह इसमें वर्चुअली शामिल हो सकता है। कुरैशी ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत सार्क में शामिल होने के लिए पाकिस्तान नहीं आना चाहता है और इसीलिए वह इस सम्मेलन में बाधा पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
वह 19वें सार्क में शामिल होने के लिए भारत को आमंत्रित कर रहे हैं। अगर वह इस्लामाबाद आने के लिए तैयार नहीं है तो वह इस सम्मेलन में आनलाइन भाग ले सकता है। लेकिन भारत को अन्य सदस्य देशों को सार्क सम्मेलन में भाग लेने से नहीं रोकना चाहिए। सार्क क्षेत्रीय देशों का एक संगठन है जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। यह संगठन वर्ष 2016 से अधिक सक्रिय नहीं रहा है। वर्ष 2014 में नेपाल में हुए सम्मेलन के बाद इसका कोई सम्मेलन भी नहीं हुआ है।
2016 में उरी में आतंकी हमले के बाद भारत ने सम्मेलन में भाग लेने से किया था इन्कार
वर्ष 2016 में ही 15-19 नवंबर तक इस्लामाबाद में बैठक होनी थी, लेकिन उसी साल 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस सम्मेलन में शिरकत से इन्कार कर दिया था। भारत के बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सार्क सम्मेलन में शामिल होने से मना कर दिया था। इससे निराश होकर पाकिस्तान ने यह बैठक ही रद कर दी थी। लेकिन तब से अब तक भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में कोई बदलाव नहीं आने को देखते हुए अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने भारत को लेकर ऐसा बयान दिया है।
दोनों देशों के बीच संबंध सुधरने के आसार नहीं
कुरैशी का मानना है कि भारत पर वर्ष 2021 में भी हिंदुत्व की ही विचारधारा हावी है। इससे दोनों देशों के बीच संबंध सुधरने के आसार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से भारत के साथ संबंध सर्द हो गए हैं। हमारे विचार से हाल के वर्षो में आक्रामक हिंदुत्व की वजह से क्षेत्रीय सहयोग नहीं बन पा रहा है। कुरैशी ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा सुलझाए बगैर भारत के साथ शांति स्थापित नहीं हो सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत पाकिस्तान से पहले ही कह चुका है कि उससे सामान्य पड़ोसी के रिश्ते तभी संभव हैं, जब वह आतंकवाद और हिंसा का रास्ता छोड़ दे।