पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ उगला 'जहर', अफगानिस्‍तान को गेहूं देने को बताया 'पब्लिश‍िटी स्‍टंट'

कानून का शासन जरूरी है तथा किसी भी देश की प्रगति के लिए कानून की उपस्थिति आवश्यक है।

Update: 2022-01-17 06:08 GMT

तालिबान राज में गरीबी और भुखमरी से जूझ रही अफगान जनता को भारत की 50 हजार टन गेहूं की मदद को पाकिस्‍तान ने 'पब्लिशिटी स्‍टंट' करार दिया है। पाकिस्‍तान लगातार इस गेहूं को न केवल अपने क्षेत्र से जाने से रोक रहा है, बल्कि इसके खिलाफ जहरीले बयान देने में जुट गया है। बलूचों के खिलाफ हिंसा कर रहे पाकिस्‍तान के बड़बोले राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ ने आरोप लगाया कि भारत नरसंहार की सभी सीमाओं को पार कर रहा है और दुनिया ने इस पर चुप्‍पी साध रखी है

मोइद यूसुफ ने कहा कि भारत ने जानबूझकर पाकिस्‍तान के जमीनी रास्‍ते से गेहूं अफगानिस्‍तान भेजने का ऐलान किया था ताकि पाकिस्‍तान ऐसा न करने दे। उन्‍होंने कहा, 'वैश्विक समुदाय सोचता है कि भारत चीन के खिलाफ संतुलन बनाए रखने वाला है लेकिन नई दिल्‍ली अब खुद उसके लिए प्रतिसंतुलन बन गया है। पाकिस्‍तानी एनएसए ने कहा कि पाकिस्‍तान चीन और अमेरिका में किसी के कैंप में नहीं है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि भारत पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपमानित करने का प्रयास करता रहता है।
'हम भारत के साथ शांति और संपर्क बनाना चाहते हैं'
पाकिस्‍तानी एनएसए ने कहा कि हम भारत के साथ शांति और संपर्क बनाना चाहते हैं लेकिन बिना कश्‍मीर मुद्दे के समाधान के नहीं हो सकता है। बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को देश की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पेश की थी जिसे नागरिक आधारित फ्रेमवर्क पर तैयार किया गया है और सैन्य ताकत पर केंद्रित एक आयामी सुरक्षा नीति के बजाय इसमें अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा देने तथा विश्व में देश की स्थिति को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति और मंत्रिमंडल से अनुमोदित सुरक्षा नीति के सार्वजनिक संस्करण को प्रधानमंत्री कार्यालय में आयोजित एक समारोह में जारी करते हुए इमरान खान ने आज कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में नाकाम रहीं। हालांकि, 100 पन्नों का मूल दस्तावेज गोपनीय श्रेणी में बना रहेगा। खान ने कहा, 'हमारी विदेश नीति में आर्थिक कूटनीति को आगे ले जाने पर जोर होगा।' उन्होंने कहा कि समृद्धि और प्रगति के लिए कानून का शासन जरूरी है तथा किसी भी देश की प्रगति के लिए कानून की उपस्थिति आवश्यक है।

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