दुनियाभर में आतंक फैला रहा पाकिस्तान, कहीं लोगों पर बरसाईं गोली, तो कहीं चाकू से किया अटैक
सऊदी अरब ने भी हाल ही में आतकंवाद को लेकर तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
पाकिस्तान आतंकवाद (Pakistan Terrorism) फैलाने के मामले में दुनियाभर में मशहूर है. वो ना केवल पड़ोसी देश भारत को अपनी आतंकी हरकतों से परेशान कर रहा है बल्कि दुनिया के बाकी देशों के लिए भी सुरक्षा से जुड़ी मुश्किलें खड़ी कर रहा है. हाल ही में ये मुद्दे एक बार फिर चर्चा में तब आया, जब अमेरिका के यहूदी धर्मस्थल में एक आतंकी ने चार लोगों को बंधक बना लिया. ये घटना टेक्सास में हुई थी (Texas Synagogue Siege). हमलावर ने इन लोगों को छोड़ने के बदले मांग की कि पाकिस्तानी आतंकी आफिया सिद्दीकी (Aafia Siddiqui) को जेल से रिहा किया जाए. जो अमेरिका की एक जेल में बंद है. सिद्दीकी को 86 साल की कैद हुई है.
हमलावर ने बेगुनाह लोगों को गोली से मारने की धमकी दी. जिनका इन सबसे कुछ लेना देना नहीं था. ये आतंकी पाकिस्तानी मूल का ब्रिटिश नागरिक था. जिसकी पहचान 44 साल के मलिक फैजल अकरम के तौर पर हुई. उसने आफिया सिद्दीकी को अपनी 'बहन' बताया (Texas Pakistani Terrorist). आफिया पाकिस्तान की एक न्यूरोसाइंटिस्ट थी, जिसके पति ने उसे इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि वो काफी हिंसक थी और उसने आतंकवाद के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया था. उसने 2008 में अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ साजिश रचने और उन्हें मारने की कोशिश की थी. वह अल-कायदा से जुड़ी थी. जिसके चलते उसे लेडी अल-कायदा तक कहा जाता है. अकरम बाद में पुलिस की गोली से मारा गया.
दुनिया में और भी मुस्लिम देश हैं, यमन और अफगानिस्तान के जैसी हालत तो शायद किसी और देश की नहीं होगी. लेकिन जब आतंक फैलाने की बात आती है, तो पाकिस्तानी ही सबसे आगे खड़े दिखाई देते हैं. कुछ साल पहले की बात है, पाकिस्तान के मुल्तान से ताल्लुक रखने वाली तशफीन मलिक नामक महिला और उसके पति ने 2015 में कैलिफोर्निया के सैन बर्नार्डिनो में गोलीबारी कर 14 लोगों की हत्या कर दी और 22 को घायल कर दिया. ये दोनों पति पत्नी अमेरिका में आराम की जिंदगी जी रहे थे, लेकिन इन्होंने यहीं के लोगों को मार दिया. दोनों ने स्कॉटलैंड के प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षा केंद्र, ग्लासगो विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी.
ब्रिटेन आतंक का केंद्र रहा है
ब्रिटेन में कई पाकिस्तानियों पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण मुकदमे चल रहे हैं. पाकिस्तान से ताल्लुक रखने वाले मुहम्मद गोहिर खान नामक शख्स को 2021 में ब्रिटेन की पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोप में पकड़ लिया था (Pakistan Spreading Terrorism). ये मामला पाकिस्तानी ब्लॉगर अहमद वक्कास गोराया से जुड़ा था, जिन्हें अतीत में भी धमकियां मिल चुकी हैं. इसी महीने मामले में सुनवाई हुई है. इसके अलावा ब्रिटिश पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या टेक्सास में मारे गए आतंकी का मैनचेस्टर में पकड़े गए दो आतंकियों से कोई लिंक है. जहां बड़ी संख्या में पाकिस्तानी या पाकिस्तान मूल के लोग रहते हैं.
साल 2006 में MI5 (ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी) और मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने देश के इतिहास में सबसे बड़ा अभियान चलाया गया था. इन्होंने मिलकर ब्रिटिश इतिहास की संभावित रूप से सबसे खतरनाक आतंकवादी साजिश को नाकाम किया था. तब अल-कायदा ने सात विमानों में आत्मघाती हमलावरों को रखने की योजना बनाई थी. इनकी योजना 18 आत्मघाती हमलावरों को विमानों में सवार करने की थी. ताकि वह बम से उड़ा दिए जाएं. इस साजिश को नाकाम करने के लिए ऑपरेशन ओवर्ट (Operation Overt) चलाया गया. इस घटना में पाकिस्तानी मूल का उस्मान खान गिरफ्तार हुआ था.
उस्मान खान जब पैरोल पर बाहर आया, तभी उसने 2019 में लंदन ब्रिज पर मौजूद लोगों पर चाकू से हमला कर दिया. उसकी रिहाई से आतंकी हमलों को लेकर डर उत्पन्न हो गया था. जिसके चलते पाकिस्तान से निर्वासित किए गए एक और पाकिस्तानी रंगजेब अहमद की रिहाई रद्द करनी पड़ी. जो ब्रिटेन में गिरफ्तार हुआ अल-कायदा का बड़ा आतंकी था. हालांकि ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान ने सभी मामलों में ब्रिटेन का सहयोग किया था. जिसके चलते कोई पाकिस्तानी आतंकी अगर पकड़ा जाता है, तो ब्रिटेन साफतौर पर उसे पाकिस्तानी ना कहकर केवल आतंकी कहता है.
फ्रांस सहित कई देशों में तबाही
फ्रांस भी पाकिस्तान के कट्टरपंथ से अंजान नहीं है. बीते साल फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों के विरोध में लाहौर सहित कई शहरों में प्रदर्शन हुए थे. केवल इसलिए क्योंकि मैक्रों ने 'बोलने की आजादी' की वकालत की थी. उनके चंद शब्दों को पाकिस्तानियों ने ईशनिंदा बता दिया (France Terror Incidents). वहीं 2020 की बात है, जब फ्रांस ने 25 साल के जहीर हसन मेहमूद से जुड़े चार पाकिस्तानियों को गिरफ्तार कर लिया था. मेहमूद भी पाकिस्तानी आतंकी है, जिसने चाकू से अचानक ही कुछ लोगों पर हमला कर दिया था.
उसे शक था कि सभी फ्रांसीसी मैग्जीन चार्ली एब्दो के लिए काम करते हैं. जिसने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छापा था. आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान के पंजाब में रहने वाले महमूद के पिता ने अपने बेटे पर गर्व जताया. गांव वाले भी घर पर बधाई देने पहुंच गए थे. मेहमूद मुहम्मद इलयास कादरी को फॉलो करता था, जो दावत-ए-इस्लामी का संस्थापक है. जो पाकिस्तान में कई मदरसे चलाता है. उसके दो भाई इटली में भी हैं. इटली भी पाकिस्तान से परेशान है. इटली यूरोप भर में हुई उस जांच में शामिल था, जिसके तहत उस नेटवर्क को खत्म किया गया, जो प्रवासियों की यहां तस्करी कर रहा था.
स्पेन भी पाकिस्तान से खासा परेशान है. उसने दिसंबर 2021 में उस शख्स को गिरफ्तार किया था, जिसने चार्ली एब्दो पर हमला करने का समर्थन किया था और हिंसक जिहादी मैसेज का ऑनलाइन प्रचार किया. मामले में जांच जारी है. स्पेन पहले भी पाकिस्तान से जुड़े जिहादी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर चुका है. स्पेन का 'सलाफिस्ट कॉरिडोर' तब सुर्खियों में आया जब यह पता चला कि 9/11 के हमलावरों में से एक मोहम्मद अत्ता ने स्पेन के सालौ में पाकिस्तानी हैंडलर से मुलाकात की है. सेंट्रल एशियाई देश कजाकिस्तान में दंगे हुए थे. रूसी खुफिया एजेंसी ने मामले में पाकिस्तानी तब्लीगी जमात की भूमिका का पता लगाया था. इन दंगों में संपत्ति को खासा नुकसान हुआ और बड़ी संख्या में लोग मारे गए. सऊदी अरब ने भी हाल ही में आतकंवाद को लेकर तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया था.