कराची | पाकिस्तान सरकार कर्ज के महासंकट से जूझ रही है लेकिन उसे इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। पाकिस्तान सरकार के करीब 6 महीने से गुहार लगाने के बाद आखिरकार आईएमएफ ने उसे 3 अरब डॉलर का कर्ज देने का ऐलान किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान जिस तरह के आर्थिक संकट से जूझ रहा है, उसे आईएमएफ के इस कर्ज से उसे बस कुछ समय मिलेगा, राहत नहीं। आईएमएफ के बोर्ड की 12 जुलाई को बैठक होने वाली है जिसमें पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का लोन जारी करने पर फैसला होगा। पाकिस्तान को अगर यह लोन जारी हो जाता है तो ऐसा 23वीं बार होने जा रहा है जब जिन्ना का यह देश आईएमएफ से कर्ज लेगा।
पाकिस्तान को यह लोन मिलते ही वह आईएमएफ का चौथा बड़ा उधार लेने वाला देश बन जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का आईएमएफ से कर्ज लेने का इतिहास रहा है लेकिन सवाल यह है कि वह किस तरह से इस बेलआउट का इस्तेमाल करेगा। उनका कहना है कि पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज कितना है, इसका किसी को ठीक-ठीक पता नहीं है। यही नहीं इन लोन को अक्सर कम करके दिखाया जाता है। इसमें चीन सरकार के सेफ संगठन से लिया गया कर्ज शामिल है।पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के मुताबिक गत 31 मार्च तक देश पर कुल विदेशी कर्ज 125.72 अरब डॉलर था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने आशा जताई है कि महीने के अंत तक देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 14 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। डॉन अखबार में छपे लेख में पाकिस्तानी पत्रकार खुर्रम हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान पर इस वित्तीय वर्ष में डिफॉल्ट होने का खतरा है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह पाकिस्तान का कम विदेशी मुद्रा भंडार और कर्ज अदायगी का सिड्यूल है।
खुर्रम ने कहा कि पाकिस्तान को 8.7 अरब डॉलर का सार्वजनिक कर्ज इस साल लौटाना है। इसके अलावा 5 अरब डॉलर का प्राइवेट कर्ज भी लौटाया जाना है। इससे कुल कर्ज अदायगी 13.7 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। चीन के बैंकों से लिया गया 2.3 अरब डॉलर का कर्ज भी जून 2024 में लौटाया जाना है। पाकिस्तान के कुल कर्ज में करीब 30 अरब डॉलर तो केवल चीन का है। चीन सीपीईसी के नाम पर पाकिस्तान पर कर्ज पर कर्ज लाद रहा है जिसे चुकाने में पाकिस्तान का तेल निकल जा रहा है।