नई दिल्ली: पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश और पिघल रहे ग्लेशियर की वजह से बाढ़ का कहर जारी है, जिसमें लगभग 1,300 लोगों की मौत हो गई है. प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में डायरिया और मलेरिया जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए कमर कस ली है. बाढ़ से पाकिस्तान का एक-तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया है, जिस वजह से 3.3 करोड़ से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. साथ ही पाकिस्तान की पहले से चरमराती अर्थव्यवस्था को 12.5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
पाकिस्तान की नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) के मुताबिक, पाकिस्तान में बीते 24 घंटों में 26 लोगों की मौत हो गई है, जिसके बाद रविवार को मौतों का कुल आंकड़ा बढ़कर 1,290 हो गया जबकि 12,588 लोग घायल हुए हैं. एनडीएमए का कहना है कि अकेले सिंध प्रांत में 492 लोगों की मौत हुई है. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में 286, बलूचिस्तान में 259, पंजाब में 188, कश्मीर में 42, गिलगित बाल्टिस्तान में 22 और इस्लामाबाद में एक शख्स की मौत हुई है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ से 5,563 किलोमीटर तक की सड़कें नष्ट हो गई हैं और 243 पुलों को नुकसान पहुंचा है. इसके साथ ही 1,468,019 घरों को आंशिक या पूर्ण रूप से नुकसान पहुंचा है और 736,459 मवेशियों की मौत हुई है.
सिंध के सूचना मंत्री शरजील मेनन का कहना है कि सिंध प्रांत अभी भी इस विपदा से जूझ रहा है क्योंकि प्रशासन ने सहवान और भान सईदाबाद शहरों को जलमग्न होने से बचाने के लिए मंचर झील के तटबंध को तोड़ दिया है.
मेनन ने कहा, यह एक मुश्किल फैसला था लेकिन हमें यह फैसला लेना पड़ा. इस कदम के बाद यहां से निकलने वाले पानी से पांच यूनियन काउंसिल के लगभग 1.25 लाख लोग प्रभावित होंगे. फिलहाल 672,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं, जहां सरकार उन्हें दवाइयां और भोजन उपलब्ध करा रही है.
इस बीच सिंध की स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अजरा पेचुहो ने बताया कि सिंध प्रांत के राहत शिविरों में कम से कम 47,000 गर्भवती महिलाएं रह रही हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में महिलाओं को बाढ़ की वजह से कई तरह की बीमारियां हो गई हैं.
उन्होंने कहा, अकेले सिंध प्रांत में ही डायरिया के 134,000 से अधिक और मलेरिया के 44,000 मामले दर्ज हुए हैं. डॉ. पेचुहो ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों में से एक लाख से अधिक लोगों को त्वचा संबंधित, 101 को सांप के काटने और 500 को कुत्ते से काटने के मामले दर्ज हुए हैं. सिंध प्रांत में श्वास संबंधी बीमारियों के मामले भी बढ़ रहे हैं.
यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) ने 30 अगस्त को कहा था कि इस महीने देश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में 650,000 गर्भवती महिलाओं में से 73,000 की डिलीवरी हो सकती है, जिन्हें मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल जरूरत है.
सरकार ने बाढ़ के प्रकोप के मद्देनजर 25 अगस्त को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय आपातकाल का ऐलान किया था. बाढ़ से अब तक लगभग 1,300 लोगों की मौत हो गई है.
इस बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बलूचिस्तान प्रांत के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया, जहां उन्होंने स्थिति का जायजा लिया.
इस दौरान शरीफ ने बचाव अभियान में मदद कर रहे मजदूरों के लिए पचास लाख पाकिस्तानी रुपये और गैस पाइपलाइन रिस्टोर करने में लगे कर्मचारियों के लिए दस लाख पाकिस्तानी रुपये की राहत राशि का ऐलान किया.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को ट्वीट कर यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड और अन्य वैश्विक एजेंसियों से पाकिस्तान की मदद करने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस आपदा से देश के बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
पाकिस्तान के किसान बाढ़ की वजह से हुए अपने नुकसान का आकलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा से देश पचास साल पीछे चला गया है.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटारेस नौ सितंबर को पाकिस्तान का दौरा करेंगे और बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण करेंगे. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को 16 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया ताकि पाकिस्तान सरकार बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे लाखों लोगों की मदद कर सके.