पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ में हुई रजामंदी, लोगों पर पड़ेगी तगड़ी मार
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कर्ज की अगली किस्त जारी करने के सवाल पर पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच समझौता हो जाने की खबर है। पाकिस्तानी मीडिया के एक हिस्से में छपी खबर के मुताबिक इसका ब्योरा शुक्रवार या अगले सोमवार तक सामने आएगा। शहबाज शरीफ सरकार सत्ता में आने के बाद से आईएमएफ से कर्ज की किस्तें हासिल करने के लिए हाथ-पांव मार रही थी। समझा जाता है कि आईएमएफ ने इसके लिए कई शर्तें उसके सामने रखी थीं। ताजा खबर के मुताबिक मंगलवार रात दोनों पक्षों में सहमति बन गई। लेकिन यह पूरी तरह मालूम नहीं हो सका है कि आईएमएफ की किन-किन शर्तों को पाकिस्तान सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
सरकारी खर्च में कटौती की शर्त
पाकिस्तान के अखबार द न्यूज के मुताबिक आईएमएफ ने शरीफ सरकार के 2022-23 से बजट से संबंधित कई शर्तें रखी थीं। इनमें सबसे प्रमुख शर्त सरकारी खर्च में इतनी कटौती की है, जिससे अगले वित्त वर्ष में पाकिस्तान का राजकोष रेवेन्यू सरप्लस हो जाए। यानी सरकार राजकोषीय लाभ की स्थिति में हो। शरीफ और उनकी सरकार के मंत्रियों ने हाल में ऐसे कई बयान दिए हैं, जिनमें कहा गया कि सरकार सख्त से सख्त कदम उठाने को तैयार है। इसके तहत महीने भर के भीतर पेट्रोल के दाम में 85 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की जा चुकी है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब आईएमएफ मेमोरैंडम ऑफ इकॉनमिक एंड फाइनेंशियल पॉलिसीज (एमईईपी) का ड्राफ्ट पाकिस्तान को शुक्रवार को सौंपेगा। हालांकि कुछ खबरों में यह भी कहा गया है कि ऐसा अगले सोमवार को होगा। उसके बाद उस दस्तावेज के आधार पर आईएमएफ और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान मौद्रिक लक्ष्यों का खाका तैयार करेंगे। इसके तहत मुद्रास्फीति दर घटाने, विदेशी मुद्रा भंडार की सेहत सुधारने, और घरेलू जायदाद को ठोस रूप देने के लक्ष्य शामिल होंगे।
550 अरब रुपये एकत्र करे पाक सरकार
समझा जाता है कि इन उपायों की देश में आम लोगों पर जोरदार मार पड़ेगी। पेट्रोल और अन्य चीजों की महंगाई से लोग पहले से ही परेशान हैं। सरकार ने अब तक जो कदम उठाए हैं, उनमें 50 हजार से एक लाख रुपये तक की तनख्वाह पाने वाले कर्मचारियों पर 1,200 रुपये का अतिरिक्त टैक्स लगाना शामिल है। द न्यूज के मुताबिक सरकार अपने खर्च को घटा कर 152 अरब रुपये तक लाने पर सहमत हो गई है। इसका मतलब है कि देश में विकास और जन कल्याण के बजट में भारी कटौती होगी। इसके अलावा पेट्रोल पर तुरंत पांच रुपये का और अतिरिक्त शुल्क लगेगा। धीरे-धीरे इस शुल्क को बढ़ा कर 30 रुपये तक ले जाया जाएगा। आईएमएफ ने इस शुल्क के जरिए पाकिस्तान सरकार को 550 अरब रुपये एकत्र करने को कहा है।
अभी ये मालूम नहीं हो सका है कि क्या बनी सहमति में चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) से जुड़ी परियोजनाओं के बारे में भी कोई शर्त है। पहले ऐसी खबर आई थी कि आईएमएफ ने पाकिस्तान से सीपीईसी से संबंधित बिजली परियोजनाओं से बिजली खरीद की शर्तों पर दोबारा बातचीत करने को कहा है। लेकिन बाद में आईएमएफ ने इसका खंडन किया था।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इन कदमों पर पाकिस्तान के अंदर जनता की विपरीत प्रतिक्रिया होगी। इससे शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) सरकार की लोकप्रियता और गिरने की संभावना है। दूसरी तरफ लोगों की बढ़ती मुसीबत से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सरकार विरोधी अभियान को और बल मिलेगा।