अफगानिस्तान को निगल नहीं सकता है पाकिस्तान...राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कही ये बात

अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान और तालिबान के खिलाफ दहाड़ लगाई है

Update: 2021-08-19 08:48 GMT

अफगानिस्तान (Afghanistan) के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amruallah Saleh) ने पाकिस्तान (Pakistan) और तालिबान के खिलाफ दहाड़ लगाई है और उन्हें चेतावनी दी है. जहां एक और वर्तमान राष्ट्रपति अशरफ गनी मुल्क छोड़कर भाग गए हैं, वहीं अमरुल्ला सालेह ने वतन छोड़ने के बजाय पंजशीर घाटी में अपना ठिकाना बना लिया है. सालेह ने कहा है कि पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि वे इसे निगलने की हिमाकत नहीं कर सकते हैं. उन्होंने तालिबान पर भी निशाना साधा है और कहा है कि अफगानिस्तान तालिबान के शासन के लिए भी बहुत बड़ा है.

अमरुल्लाह सालेह तालिबान (Taliban) का विरोध करने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं. सालेह ने कई ट्वीट्स किए और उन लोगों के लिए सम्मान व्यक्त किया, जिन्होंने अफगानिस्तान का झंडा बुलंद किया और देश की गरिमा के लिए खड़े रहे. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'दुनिया के देशों को कानून के शासन का सम्मान करना चाहिए, हिंसा का नहीं. अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान उसे निगल नहीं सकता है और तालिबान उस पर शासन नहीं कर सकता है. अपने इतिहास में इसे ऐसा पाठ न बनने दें, जिसमें आतंकी गुटों के सामने झुकने या अपमान का जिक्र किया गया हो.'
17 अगस्त को खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति किया घोषित
तालिबान के काबुल (Kabul) पर कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) मुल्क छोड़कर भाग गए. इसके बाद 17 अगस्त को सालेह ने खुद को युद्धग्रस्त मुल्क का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया. सालेह ने ट्विटर के जरिए ऐलान किया कि वे अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं. ऐसा उन्होंने संविधान के दायरे में रहते हुए किया है, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में उपराष्ट्रपति देश की सत्ता को संभाल सकता है. इसके बाद से ही अमरुल्ला सालेह तालिबान को निशाने पर लिए हैं. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान पर भी हमला बोला है.
पंजशीर घाटी से भरी है अमरुल्ला सालेह ने हुंकार
वहीं, अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) आखिरी इलाका है, जिस पर तालिबान का कब्जा नहीं है. ताजिकिस्तान में अफगान राजदूत जहीर अघबर ने कहा है कि यह प्रांत तालिबान के खिलाफ अमरुल्लाह सालेह द्वारा प्रतिरोध के लिए एक गढ़ के रूप में काम करेगा. ये घाटी हिंदूकुश में काबुल के उत्तर में स्थित है. यह 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ और फिर 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का गढ़ था. अमरुल्लाह सालेह का जन्म पंजशीर प्रांत में हुआ था और उन्हें वहीं प्रशिक्षित किया गया था. चूंकि यह हमेशा प्रतिरोध क्षेत्र बना रहा, इसलिए इसे कभी भी किसी भी ताकत द्वारा नहीं जीता गया. न तो विदेशी ताकतें और न ही तालिबान इसे जीतने में सफल हुए.
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