इमरान खान से मिले पाकिस्तानी आर्मी के चीफ, अविश्वास प्रस्ताव लेकर जल्द ही होगी वोटिंग
सत्ताधारी पीटीआई के कुछ नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ वोट दे सकते हैं.
पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने संयुक्त विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बीच शुक्रवार को सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) से मुलाकात की है. इस बैठक के एजेंडा को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. स्थानीय मीडिया का कहना है कि इमरान और बाजवा ने इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) के पाकिस्तान में आगामी शिखर सम्मेलन, बलूचिस्तान में हिंसा और इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान को लेकर बातचीत की है.
पाकिस्तानी मीडिया चैनल कैपिटल टीवी ने बताया, 'पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अधिकतर नेता इस बैठक के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. देश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच बैठक का नतीजा अहम माना जा रहा है.' देश के आर्थिक कुप्रबंधन और खराब विदेश नीति का आरोप लगाकर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के लिए विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के बैनर तले रैली की है. इमरान और बाजवा के बीच खुफिया एजेंसी आईएसआई के नए डीजी की नियुक्ति को लेकर भी मतभेद हुए थे.
सेना का समर्थन हासिल करना चाहते हैं इमरान
बैठक के पीछे की दूसरी वजह ये भी मानी जा रही है कि इमरान खान पाकिस्तान सेना का अपने प्रति समर्थन हासिल करना चाहते हैं, जो अभी तक अविश्वास प्रस्ताव पर तटस्थ बनी हुई है. इमरान खान और सेना के बीच दरार उस वक्त सामने आई थी, जब पीटीआई नेता ने 11 मार्च को अपने अभद्र भाषा वाले भाषण में विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करने की बाजवा की सलाह को खारिज कर दिया था.
इमरान ने फजल को डीजल कहकर पुकारा
इमरान खान ने कहा था, 'मैं बस जनरल बाजवा से बात कर रहा था और उन्होंने मुझे कहा कि मैं फजल को 'डीजल' ना कहूं. लेकिन मैं अकेला नहीं हूं, जो ऐसा कह रहा है. लोगों ने उनका नाम डीजल रख दिया है.' इमरान ने कथित तौर पर जमीयत उलेमा-ए इस्लाम (एफ) के नेता मौलाना फजलुर रहमान का जिक्र करते हुए ये बात कही थी. अविश्वास प्रस्ताव की बात करें, तो पाकिस्तान के विपक्ष को इमरान खान को सत्ता से बदखल करने के लिए 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में 172 वोट की जरूरत है. रिपोर्ट्स में ऐसा कहा जा रहा है कि सत्ताधारी पीटीआई के कुछ नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ वोट दे सकते हैं.