गिनी में मारबर्ग वायरस की चपेट में एक व्यक्ति की मौत, WHO बोला- अब तक 150 से अधिक संपर्कों की पहचान
इसका प्रकोप एक प्रयोगशाला से जुड़ा था जहां के श्रमिक युगांडा से लगाए गए अफ्रीकी हरे बंदरों के संपर्क में थे।
गिनी में इबोला जैसे मारबर्ग वायरस की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि अब तक परिवार के तीन सदस्यों और एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता सहित लगभग 150 संपर्कों की पहचान की गई है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि हालांकि इबोला का एक घातक चचेरा भाई मारबर्ग, Sars-CoV-2 से बहुत अलग वायरस है, लेकिन इससे बचाव के उपाय लगभग समान हैं जैसे की आइसोलेसन, ट्रेसिंग और उनके कॉन्टैक्ट्स को क्वारंटाइन करना।
टेड्रोस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ और हमारे सहयोगी गिनी के स्वास्थ्य के साथ संपर्क में है ताकि इसके प्रकोप के स्रोत की जांच करने संपर्कों का पता लगाने और स्थानीय समुदाय को खुद से बचाने के तरीके के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
गिनी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी को देश के दक्षिण-पश्चिम में मारबर्ग वायरस रोग के एक मामले की जानकारी दी। इसी के सात पश्चिम अफ्रीका में मारबर्ग का यह पहला मामला था। इस केस में लक्षणों की शुरुआत के 8 दिन बाद संक्रमित की मौत हो गई। इस बीमारी में पिछले प्रकोपों के अनुसार, औसत मृत्यु दर 50 प्रतिशत है।
टेड्रोस ने कहा कि मारबर्ग के लिए लाइसेंस प्रार्त कोई टीका नहीं है। वैक्सीन को अभी विकसित किया जा रहा है। इस वायरस का नाम जर्मन शहर मारबर्ग के नाम पर है। जहां इसे पहली बार 1967 में पहचाना गया था। इसका प्रकोप एक प्रयोगशाला से जुड़ा था जहां के श्रमिक युगांडा से लगाए गए अफ्रीकी हरे बंदरों के संपर्क में थे।