नई दिल्ली: आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. शनिवार को प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेडिंग तोड़कर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास में घुस गए थे. जबकि प्रोटेस्ट कर रहे लोगों के एक समूह ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगा दी थी. इसी बीच चीन ने अपने लोगों को साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा है कि किसी भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा न लें. दरअसल, चीन ने श्रीलंका में अरबों डॉलर का निवेश किया है.
एजेंसी के मुताबिक कोलंबो में चीनी दूतावास ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें श्रीलंका में चीनी नागरिकों को स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करने के लिए कहा गया. स्थानीय मीडिया के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटिस में चीनी नागरिकों से किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेने की चेतावनी दी गई है.
दूतावास ने चीनी नागरिकों से कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने और कोलंबो में प्रधानमंत्री के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया है, लेकिन वह इस पूरे घटनाक्रम से दूर रहें. रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका में इन दिनों खाने और पेट्रोल-डीजल की भारी कमी हो गई है.
दूतावास ने यह भी कहा है कि चीनी नागरिक सतर्क रहें. सुरक्षित रहें, बाहर जाने से बचें, कम्युनिकेशन के सभी माध्यम ऑन रखें. और दूतावास के नोटिस और रिमाइंडर से अपडेट रहें. चीन की ओर से इस तरह की चेतावनी इसलिए जारी की गई है क्योंकि श्रीलंका में अरबों डॉलर के इन्वेस्ट से तैयार किए जा रहे कई चीनी प्रोजेक्ट पर चीनी नागरिक काम कर रहे हैं. इन परियोजनाओं में हंबनटोटा बंदरगाह शामिल है, जिसे चीन ने 99 साल के पट्टे पर हासिल किया है. साथ ही कोलंबो बंदरगाह शहर परियोजना भी शामिल है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को कोलंबो में श्रीलंका के सबसे खराब आर्थिक संकट को लेकर प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद पद छोड़ने की पेशकश की थी. वहीं श्रीलंका को चीन ने कुछ मिलियन डॉलर की सहायता दी है. हाल ही में चावल का एक बड़ा शिपमेंट भी भेजा है, लेकिन राष्ट्रपति राजपक्षे या उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे द्वारा मांगी गई बड़े पैमाने पर मौद्रिक सहायता प्रदान नहीं की.
वहीं चीन ने पिछले महीने श्रीलंका की सहायता के लिए भारत के प्रयासों की सराहना की. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने 8 जून को कहा था कि हमने देखा है कि भारत सरकार ने इस दिशा में बहुत कुछ किया है. हम उन प्रयासों की सराहना करते हैं.