पाकिस्तान का कर्ज अब हक्कानी नेटवर्क के नेता चुका रहे, आतंकियों के आगे घुटने टेककर घिरे इमरान खान
उनका कहना है कि अलकायदा और पाकिस्तान के अन्य धार्मिक नेताओं ने टीटीपी के साथ गुल बहादर को मिलाने की कोशिश की थी लेकिन वे नाकाम रहे थे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सामने घुटने टेकते हुए गुप्त बातचीत शुरू की है। बताया जा रहा है कि इस बातचीत में तालिबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। इस बीच टीटीपी के एक धड़े ने दक्षिणी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हिंसक कार्रवाई रोकने का ऐलान भी कर दिया है। उधर, पाकिस्तान में हजारों लोगों की जान लेने वाले टीटीपी के साथ वार्ता शुरू करके प्रधानमंत्री इमरान खान बुरी तरह से घिर गए हैं और विपक्ष ने सवालों की झड़ी लगा दी है।
तुर्की के टीवी चैनल TRT वर्ल्ड को दिए इंटरव्यू के दौरान इमरान खान ने दावा किया कि पाकिस्तानी तालिबानी समूह हमारी सरकार से शांति और समझौते के बारे में बात करना चाहते हैं। हम उनमें से कुछ से बात कर रहे हैं। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वह तहरीक-ए-तालिबान से बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि TTP के कई धड़े हैं और उनमें से कुछ के साथ बात की जा रही है। उन्होंने यह नहीं बताया कि आत्मसमर्पण की बात की जा रही है या नहीं लेकिन कहा कि सुलह की बात चल रही है।
'हम उन्हें माफ कर देंगे और वे आम नागरिक हो जाएंगे'
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या अफगान तालिबान इसमें मदद कर रहा है? इस पर इमरान खान ने साफ कहा कि बातचीत अफगानिस्तान में हो रही है, तो उस आधार पर तालिबान मदद कर रहा है। उनसे सवाल किया गया कि टीटीपी के कुछ समूहों से बात चल रही है कि वे अपने हथियार डाल दें, इस पर इमरान ने आगे जोड़ा कि फिर हम उन्हें माफ कर देंगे और वे आम नागरिक हो जाएंगे। उम्मीद है कि समझौता होगा।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान टीटीपी के हाफिज गुल बहादर ग्रुप के साथ बातचीत कर रहा है। इस पूरी बातचीत में सिराजुद्दीन हक्कानी मध्यस्थता कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस बातचीत के बाद पाकिस्तान ने हाफिज के गुट के कई सदस्यों को जेल से रिहा भी किया है। वहीं टीटीपी के अन्य धड़ों ने कहा कि अभी कोई सीजफायर नहीं किया गया है। इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि गुल बहादर गुट कभी भी टीटीपी का हिस्सा था ही नहीं। उनका कहना है कि अलकायदा और पाकिस्तान के अन्य धार्मिक नेताओं ने टीटीपी के साथ गुल बहादर को मिलाने की कोशिश की थी लेकिन वे नाकाम रहे थे।