सरकारी अधिकारियों का समय पेशी के लिए नहीं, SC ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

Update: 2023-07-22 12:03 GMT
हाई कोर्ट की तरफ से सरकारी अधिकारियों को तुरंत पेश होने के आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को सरकारी अधिकारियों को किसी मामले में पेशी के लिए ‘तुरंत न बुलाने’ (बहुत कम समय के अंदर) का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने सभी हाई कोर्ट को ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकारी अधिकारियों को अपना कीमती समय कोर्ट में पेश होने के बजाय जनता के प्रति अपनी ड्यूटी को पूरा करने में देना चाहिए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त सचिव को जमानती वारंट जारी करने के लिए पटना हाई कोर्ट पर आपत्ति जताई।
साथ ही शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। राज्य की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकर्णी और वकील ऋषि कावस्थी ने हाई कोर्ट के एक जज के 143 मामलों को शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड पर रखा, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था।
नागरिकों की सेवा में लगा सकते हैं कीमती समय
पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि सरकारी अधिकारी अदालत का आदेश मानने के लिए बाध्य हैं और उसे लागू न करने की स्थिति में उन्हें तलब किया जा सकता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि अधिकारियों को अनावश्यक कोर्ट में पेश होने को कहा जाए, जब तक जरूरी न हो ऐसे आदेश नहीं दिए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अदालत में अधिकारियों के उपस्थित होने से उनका कीमती समय बर्बाद होता है, जिसका उपयोग नागरिकों की सेवा में हो सकता है। इस तरह के निर्देश जारी करके उन्हें बुलाना, इस उद्देश्य को कमजोर करता है। पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश पीबी बजनथ्री की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अवमानना से संबंधित मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को 13 जुलाई को हर हाल में कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। यह आदेश एक सात साल पुराने मामले में दिया गया था।
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