ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच राहत की खबर, पिछली बार की तरह नहीं बिगड़ेगी स्थिति!

निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें और अध्ययन करने की जरूरत है।'' भाषा निहारिका वैभव वैभव

Update: 2021-12-23 07:28 GMT

देश और दुनिया में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच एक राहत देने वाली खबर सामने आई है। ओमिक्रॉन वैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। अब दक्षिण अफ्रीका में ही हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि 'ओमिक्रॉन' कोरोना वायरस के पहले वैरिएंट्स की तुलना में कम खतरनाक है। दरअसल 'ओमिक्रॉन' स्वरूप के प्रभाव को लेकर दक्षिण अफ्रीका में व्यापक स्तर पर अध्ययन किया जा रहा है।

पिछली बार की तरह नहीं बिगड़ेगी स्थिति!
विटवाटर्सरैंड विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान की प्रोफेसर, शेरिल कोहिन ने बुधवार को 'नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज' (एनआईसीडी) द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन वार्ता में 'दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन स्वरूप की गंभीरता का प्रारंभिक आकलन' शीर्षक वाले एक अध्ययन के रिजल्ट साझा किए। कोहिन ने कहा, ''उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र के अन्य देशों में स्थिति कमोबेश समान रह सकती है, जहां पिछले वैरिएंट्स का खतरनाक असर देखने को मिला था।''
'चौथी लहर, पिछली लहर से अधिक खतरनाक नहीं है'
उन्होंने कहा कि उन देशों में स्थिति समान नहीं हो सकती है, जहां पिछले स्वरूपों का असर काफी कम रहा था और टीकाकरण की दर अधिक है। एनआईसीडी की जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ वासीला जस्सत ने इस बात को स्पष्ट किया कि कैसे 'ओमिक्रॉन' स्वरूप की वजह से आई वैश्विक महामारी की चौथी लहर, पिछली लहर से अधिक खतरनाक नहीं है। उन्होंने कहा, ''चौथी लहर में, पहले चार सप्ताह में संक्रमण के मामले काफी अधिक आए...पिछली लहर की तुलना में 3,66,000 से अधिक मामले सामने आए।'' जस्सत ने बताया कि चौथी लहर में केवल छह प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि पिछली लहरों में 16 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
'डेल्टा' वैरिएंटस के मुकाबले ओमिक्रॉन से कम मौतें!
जस्सत ने कहा, ''इसका मतलब है कि मामले अधिक थे, लेकिन अधिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आई। पिछली लहरों की तुलना में इस बार अस्पताल में भर्ती कराए गए मरीजों की दर काफी कम थी।'' उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से संक्रमित हुए मरीजों की दर भी पहले की तुलना में कम थी। चौथी लहर में छह प्रतिशत मरीजों की मौत संक्रमण से हुई, जबकि 'डेल्टा' स्वरूप के कारण आई पिछली लहर में करीब 22 प्रतिशत मरीजों की जान गई थी। जस्सत ने बताया कि अधिकतर मरीज औसतन तीन दिन ही अस्पताल में भर्ती रहे।
उन्होंने कहा, '' इस चौथी लहर का प्रकोप कई अन्य कारणों से भी शायद कम रहा, जैसे टीकाकरण के कारण लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता थी या 'ओमिक्रॉन' के कम संक्रामक होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इस संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें और अध्ययन करने की जरूरत है।'' भाषा निहारिका वैभव वैभव


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