न्यूजीलैंड के दवा नियामक मेडसेफ ने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन दी मंजूरी
क्राइस्टचर्च (न्यूजीलैंड): न्यूजीलैंड के दवा नियामक मेडसेफ ने 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को तात्कालिक मंजूरी दे दी है.
क्राइस्टचर्च (न्यूजीलैंड): न्यूजीलैंड के दवा नियामक मेडसेफ ने 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को तात्कालिक मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न को अगले सप्ताह इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद 12-15 वर्ष के बच्चे अपनी बारी आने पर टीका लगवा सकेंगे.
इन वजहों से टीका लगाना जरूरी
यहां बता दें कि बच्चों को कोविड-19 से गंभीर बीमारी या मृत्यु का जोखिम वृद्ध लोगों की तुलना में कम होता है, फिर भी दो कारणों से उन्हें टीका लगाना आवश्यक है.
पहला, यदि बच्चे वायरस से संक्रमित होते हैं तो वे इसे अन्य लोगों में फैला सकते हैं, जिनमें उच्च जोखिम वाले समूह या ऐसे लोग शामिल हैं जिन्हें चिकित्सा कारणों से टीका नहीं लगाया जा सकता है. कई देशों ने देखा कि कम उम्र के लोगों में इस बीमारी का प्रकोप शुरू हुआ और यह बड़ी उम्र के लोगों में फैल गया, जिससे अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु तक की नौबत आ गई.
दूसरा, बच्चों में बीमारी से मौत का जोखिम भले ही बहुत कम है, फिर भी बच्चों को कोविड-19 के परिणामस्वरूप दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसे अक्सर लॉन्ग कोविड के रूप में जाना जाता है. ऐसा देखा गया है कि कम उम्र के लोगों का एक बड़ा वर्ग इससे प्रभावित हुआ है.
मेडसेफ द्वारा बच्चों में टीकाकरण का अप्रूवल ठोस आंकड़ों पर आधारित है जो दर्शाता है कि टीका इस आयु वर्ग के लिए सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी है. यह यूरोप, अमेरिका और कनाडा में इसी तरह के कदमों का अनुसरण है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि किशोरों का टीकाकरण करने से उनके बीमार होने और दूसरों में वायरस फैलाने का खतरा कम हो जाता है.