म्यांमार में तख्तापलट के बाद सीमाई इलाकों में अल्पसंख्यकों के लिए नया खतरा
हजारों नागरिक विस्थापित होकर पड़ोसी देश थाईलैंड भाग गए हैं।
म्यांमार के उत्तरी काचिन राज्य में आंतरिक तौर पर विस्थापित लोगों के शिविरों में रह रहे किसान हर साल बरसात से पहले अपने पुराने गांवों में लौटकर पूरे साल पेट पालने के लिए फसलें उगाते रहे हैं। लेकिन इस बार सैन्य तख्तापलट के कारण हालात बिगड़ गए हैं। ये किसान अब डर के चलते अस्थायी घरों से निकल ही नहीं रहे।
शिविर में रह रहे किसानों का कहना है कि वे म्यांमार की सेना या उनसे संबद्ध लड़ाकों से टकराने का जोखिम नहीं ले सकते हैं। एक किसान लू लू ऑन्ग ने कहा, हम तख्तापलट के बाद से कहीं नहीं जा सकते और न ही कुछ कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, हम हर रात अपने शिविरों के ऊपर बेहद करीब से लड़ाकू विमानों की आवाजें सुनते हैं। इस बीच, सेना व अल्पसंख्यक गुरिल्ला सेनाओं में लंबे समय से जारी संघर्ष के फिर से भड़क जाने के चलते म्यांमार के दूरस्थ सीमाई क्षेत्रों में देश के अल्पसंख्यक नस्ली समूहभी नई अनिश्चितताओं और घटती सुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
हालात और बिगड़े
पूर्वी सीमा पर प्रजातीय अल्पसंख्यक कारेन गुरिल्ला लड़ाकों की भूमि पर सेना ने घातक हवाई हमले करने शुरू कर दिए हैं। इसके बाद हालात और भी खराब हो गए हैं। बिगड़ी परिस्थितियों के तहत यहां हजारों नागरिक विस्थापित होकर पड़ोसी देश थाईलैंड भाग गए हैं।