नेपाल में छह जून को गठित होगी सुप्रीम कोर्ट की नई संविधान पीठ

Update: 2021-06-03 01:23 GMT

नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग किए जाने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की नई संविधान पीठ छह जून को गठित की जाएगी। न्यायमूर्तियों के बीच मतभेद के कारण अहम सुनवाई में देरी होने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने बुधवार को यह घोषणा की।

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की ओर से यह घोषणा तब की गई जब न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की और न्यायमूर्ति आनंद मोहन भट्टाराई ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली और सदन भंग करने के मामले में सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ से खुद को बाहर कर लिया।
'हिमालयन टाइम्स' ने खबर दी कि जब न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी और न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ ने मामले से खुद को अलग करने से इनकार किया तो दोनों न्यायमूर्तियों ने पीठ से खुद को बाहर कर लिया। इससे पहले, सदन भंग करने संबंधी मामले को चुनौती दे रहे याचिकाकर्ताओं ने हितों के टकराव का हवाला देते हुए मांग की थी कि न्यायमूर्ति केसी और न्यायमूर्ति श्रेष्ठ खुद को मामले से अलग करें।
अहम फैसलों में शामिल रहे श्रेष्ठ-केसी
न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ उच्चतम न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा रहे हैं जिसने सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के एकीकरण को रद्द किया था। जबकि न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी उस पीठ मे थे जिसने सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-एमसी के एकीकरण को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज किया था।
सुनवाई पर मतभेद
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना था कि दो सांविधानिक बेंच के न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी और बाम कुमार श्रेष्ठ को प्रतिनिधि सभा भंग करने के मामले में खुद को अलग करना चाहिए या नहीं। लेकिन मतभेद के चलते फैसला नहीं हुआ था। दोनों ने कहा, हमें इस मामले में सुनवाई से कोई अनुताप नहीं। लेकिन दो अन्य जज दीपक कुमार कार्की व आनंद मोहन भट्टाराई ने इन जजों का साथ नहीं दिया और सुनवाई टाल दी गई थी।

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