जापान के टोचिगी में नए बर्ड फ्लू का कहर, 77 हजार से ज्यादा मुर्गियों को मारने का आदेश

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, H5N1 का पहला मामला 1997 में हॉन्ग कॉन्ग से सामने आया था.

Update: 2021-03-16 07:31 GMT

जापान में एक बार फिर बर्ड फ्लू की दस्तक ने हड़कंप मचा दिया है. नए प्रकोप से निपटने और रोकथाम के लिए 77 हजार मुर्गियों को मारने का फैसला लिया गया है. बीते शनिवार को जापानी मीडिया ने इस बारे में जानकारी दी है.

जापान में मार दी जाएंगी 77 हजार से ज्यादा मुर्गियां
रिपोर्ट के मुताबिक, बर्ड फ्लू के प्रकोप का सबसे ज्यादा असर टोचिगी प्रांत के फार्म में देखा जा रहा है. इसको देखते हुए प्रभावित फार्म से तीन किलोमीटर (1.9 मील) की परिधि में एक क्वारंटीन क्षेत्र स्थापित किया गया. इसके अलावा, 10 किलोमीटर की सीमा में अंडों और पोल्ट्री प्रोडक्ट्स के निर्यात पर बैन लगा दिया गया. आपको बता दें कि जनवरी में जापान के कृषि और मत्स्य मंत्रालय ने कहा था कि नवंबर में शुरू हुए एविन एन्फलूएंजा के नए प्रकोप ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे.
बर्ड फ्लू के प्रकोप का सबसे ज्यादा असर टोचिगी में
और एक मौसम में सबसे ज्यादा मुर्गियों को मार दिया गया था. जापान के 47 प्रांतों में 17 बर्ड फ्लू के नए प्रकोप से प्रभावित थे. टोचिगी प्रांत से पहले जापान के चीबी, कगवा, फुकुओका, हयोगो, मियाजाकी, हिरोशिमा, नारा, ओइता, वकायमा, शिगा, तोकुशिमा और कोचि में भी बर्ड फ्लू की पहचान की गई. कृषि और मत्स्य मंत्रालय के मुताबिक, वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 9.7 मिलियन यानी 97 लाख घरेलू पक्षियों को पहले ही मारा जा चुका है.
बर्ड फ्लू या एविएन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक बीमारी है. बर्ड फ्लू की बीमारी पक्षियों से इंसानों में फैल सकती है. एवियन इन्फ्लुएन्जा की सबसे आम शक्ल H5N1 है. किसी संक्रमित पक्षी के लार, बलगम और मल के सीधे संपर्क में आने से संक्रमण का प्रसार इंसानों में हो सकता है. समय पर संक्रमण का इलाज न कराने से बर्ड फ्लू खतरनाक हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, H5N1 का पहला मामला 1997 में हॉन्ग कॉन्ग से सामने आया था.


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