नीदरलैंड्स गहरे सियासी संकट में फंसा, गठबंधन सहयोगियों ने छोड़ा प्रधानमंत्री मार्क रुटे का साथ

नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रुटे

Update: 2021-04-03 14:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रुटे का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित हो गया है। इसके साथ ही देश गहरे राजनीतिक संकट में फंस गया है। रुटे शुक्रवार को बमुश्किल अविश्वास प्रस्ताव पर जीत हासिल कर पाए। जबकि पहले माना गया था कि वे आसानी से अपना बहुमत साबित कर देंगे। रुटे को मुश्किल इसलिए आई, क्योंकि उनके गठबंधन सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि रुटे ने गठबंधन बनाते वक्त सच नहीं बोला था। उन्होंने कहा था कि एक राजनीतिक विरोधी पर लगाम कसने का आरोप झूठा है। लेकिन अब सामने आए एक वीडियो से अलग संकेत मिला है।

विश्लेषकों का कहना है कि ताजा घटनाक्रम के बाद इस बात की संभावना धूमिल हो गई है कि रुटे नीदरलैंड्स में सबसे लंबी अवधि तक प्रधानमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बना पाएंगे। वैसे फिलहाल रुटे अपने पद पर बने रहेंगे। लेकिन अब उनके लिए अपने नए मंत्रिमंडल के गठन पर सहयोगी दलों से बातचीत को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के बाद रुटे ने कहा- मैं प्रधानमंत्री बना रहूंगा। मैं फिर से सबका भरोसा हासिल करने के लिए बेहद कड़ी मेहनत करूंगा।
मगर विश्लेषकों का कहना है कि रुटे की समस्या यही है कि उन्होंने सहयोगी दलों का भरोसा खो दिया है। पिछले संसदीय चुनाव में नीदरलैंड्स में बंटा हुआ जनादेश आया था। उसमें सिर्फ तीन पार्टियां दस फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर पाईं। चुनाव के बाद रुटे की वीवीडी पार्टी के साथ लिबरल डी-66 पार्टी ने गठबंधन बनाने का एलान किया था। लेकिन इस पार्टी के नेता सिगरिड काग ने शुक्रवार को कहा कि अब दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए हैँ। रुटे के पिछले कार्यकाल में क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी वीवीडी के साथ गठबंधन में थी। उसके नेता वोपके होएकस्ट्रा ने कहा है कि देश में अब बेहद गंभीर राजनीतिक अव्यवस्था की स्थिति बन गई है।
रुटे के लंबे समय तक प्रधानमंत्री बने रहने का राज संकट के समाधान की उनकी क्षमता रही है। पिछले जनवरी में चाइल्ड बेनिफिट स्कैंडल (बाल लाभ घोटाले) का खुलासा हुआ था। तब उनकी सरकार से कई मंत्रियों ने इस्तीफ दे दिए थे। लेकिन इस झटके को रुटे सह गए। इसके पहले कॉरपोरेट डिविडेंड टैक्स लगाने का प्रस्ताव फेल हो जाने और इराक में नीदरलैंड्स की बमबारी के दौरान नागरिकों के मारे जाने को लेकर उठे विवाद को भी वे झेल गए थे।
विश्लेषकों का कहना है कि उन विवादों की तुलना में इस बार का विवाद हलका है। लेकिन इस बार रुटे के साथ उनका दस साल का रिकॉर्ड भी जुड़ा है। इसलिए उनकी मुसीबत बढ़ी हुई दिखती है। नीदरलैंड्स इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स में सीनियर रिसर्च फेलॉ रेम कोर्तेवेग ने वेबसाइट पोलिटिको.ईयू से कहा- इस बार रुटे कैमरे पर झूठे दावे करते पकड़े गए हैं।
पिछले महीने हुए संसदीय चुनाव में वीवीडी पहले नंबर पर आई। उसके बाद से रुटे गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे रहे हैं। इस बीच उनकी सरकार में गृह मंत्री काजसा ओलोनग्रेन के कोविड-19 पॉजिटिव हो जाने के कारण इस काम में देर हुई थी। अब नए विवाद के कारण जिन दलों ने पहले वीवीडी से जुड़ने का संकेत दिया था, उनके रुख को लेकर अनिश्चिय पैदा हो गया है।
विपक्ष ने रुटे के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। लेकिन इस वक्त देश गहरे कोरोना संकट में है। इस बीच रुटे की जगह कोई नेता सरकार बनाने की हालत में है, ऐसा नहीं लगता। पिछला चुनाव भी कोरोना संकट के बीच हुआ था। जानकारों के मुताबिक अब फिर से देश नए चुनाव के लिए तैयार नहीं है। लेकिन रुटे सरकार बना पाएंगे, इसको लेकर भी अब शक गहरा हो गया है। इस सियासी संकट का क्या हल होगा, इस बारे में अभी कोई अंदाजा लगाना मुश्किल है।


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