नेपाल का सत्तारूढ़ गठबंधन मंत्रिमंडल विस्तार को कल अंतिम रूप देगा : मीडिया
संशोधन से पहले दल के विभाजन के लिए कम से कम 40 प्रतिशत सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती थी।
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने रविवार को सीपीएन (माआवोदी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल और सीपीएन (एकीकृत समाजवादी) प्रमुख माधव कुमार नेपाल से मुलाकात की और इस दौरान सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी। यह दावा मीडिया में प्रकाशित खबरों में किया गया है। हालांकि, देउबा अपने मंत्रिमंडल का विस्तार एक महीने से अधिक समय तक नहीं कर सके क्योंकि सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले सीपीएन-यूएमएल का माधव नेपाल गुट निर्वाचन आयोग से मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया में था। अब निर्वाचन आयोग ने नवगठित पार्टी सीपीएन (एकीकृत समाजवादी) को मान्यता दे दी है जो पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी सीबीएन-यूएमएल से टूट कर बनी है। 'माईरिपब्लिक डॉट कॉम' ने दहल के सचिवालय के हवाले से बताया कि तीनों नेताओं ने देउबा के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की और सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए। देउबा और दहल ने शनिवार को भी अलग से बैठक कर इस मामले पर चर्चा की थी। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री कुमार माधव नेपाल ने पार्टी के खिलाफ जाकर ओली सरकार को पदच्युत करने के लिए विपक्षी गठबंधन का साथ दिया था। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा राजनीतिक दल अधिनियम-2071 अध्यादेश को जारी करने के बाद माधव नेपाल नयी पार्टी का गठन कर सके। यह अध्यादेश दलों के विभाजन की प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। देउबा सरकार ने अध्यादेश के जरिये हाल में नियमों को संशोधित करते हुए प्रावधान किया कि पार्टी की केंद्रीय समिति या संसदीय दल के 20 प्रतिशत सदस्यों के हस्ताक्षर से दल का विभाजन हो सकता है। संशोधन से पहले दल के विभाजन के लिए कम से कम 40 प्रतिशत सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती थी।