Nepal: राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से चीनी राजदूत Hou Yanqi ने की मुलाकात, क्या अब संभलेंगे हालात
नेपाल (Nepal) में जारी सियासी गतिरोध के बीच चीन की राजदूत होउ यांकी (Hou Yanqi) फिर से सक्रिय हो गई हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। काठमांडूः नेपाल (Nepal) में जारी सियासी गतिरोध के बीच चीन की राजदूत होउ यांकी (Hou Yanqi) फिर से सक्रिय हो गई हैं. यांकी ने नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी (Bidya Devi Bhandari) से उनके आवास पर मुलाकात की. दोनों के बीच तकरीबन दो घंटे चली बातचीत में किन मुद्दों पर चर्चा हुई, ये तो साफ नहीं हो सका है. लेकिन माना जा रहा है कि यांकी केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) सरकार को बचाने के इरादे से राष्ट्रपति से मिलने पहुंची थीं. प्रधानमंत्री की संसद भंग करने की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद हुई इस मुलाकात से कई सवाल खड़े हो गए हैं.
इस बार ज्यादा खराब हैं हालात
चीनी राजदूत होउ यांकी (Hou Yanqi) का नेपाल की राजनीति में दखल किसी से छिपा नहीं है. पहले भी जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) और उनके विरोधी पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' (Pushpa Kamal Dahal 'Prachanda') के बीच खींचतान हुई थी, तब यांकी ने ही बीच-बचाव करके स्थिति को संभाला था. लेकिन इस बार हालात ज्यादा खराब हो गए हैं. करीब तीन साल पहले अस्तित्व में आई दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी अब दो भागों में विभाजित हो चुकी है और दोनों पक्ष खुद को ज्यादा ताकतवर साबित करने पर तुले हैं.
आर-पार की है लड़ाई
इस साल जुलाई में भी चीन की राजदूत ने नेपाल की राष्ट्रपति भंडारी, पीएम ओली, उनके प्रतिद्वंद्वियों सहित अन्य राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की थी, ताकि कम्युनिस्ट पार्टी में उपजा विवाद खत्म किया जा सके. उस वक्त तो यांकी के मनाने पर दोनों पक्ष शांत हो गए थे, लेकिन अब लड़ाई आर-पार की हो गई है. नेपाल में मंगलवार को पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ओली को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) के अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा की थी. इससे पहले ओली ने संगठन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया था.
Oli का चीन प्रेम हो चुका है उजागर
नेपाल के प्रधानमंत्री का 'चीन प्रेम' पूरी तरह उजागर हो चुका है. ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई हैं कि चीन के हितों को ध्यान में रखकर नीति बनाने के लिए PM ओली को बीजिंग द्वारा विभिन्न तरह से फायदा पहुंचाया जाता है. यह भी कहा जाता है कि चीन के उकसावे पर ही नेपाल ने भारत के साथ नक्शा विवाद छेड़ा था. हालांकि, इसके लिए ओली को अपने घर में ही विरोध का सामना करना पड़ा. साथ ही नेपाल के इलाकों पर चीनी कब्जे के खुलासे के बाद से उनकी परेशानी और बढ़ गई थी.
क्या PM ओली से मिलेंगी राजदूत?
चीन की राजदूत होउ यांकी की नेपाल के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद अब एक सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या वो प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात करेंगी? दोनों आखिरी बार नवंबर में मिले थे और ये मुलाकात ज्यादा अच्छी नहीं रही थी. ऐसी भी खबरें आईं थीं कि ओली ने यांकी से दो टूक कहा था कि उन्हें नेपाल की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. वे किसी दूसरे देश की सहायता के बिना ही अपनी पार्टी के भीतर की चुनौतियों से निपट सकते हैं. हालांकि, दोनों के बीच जिस तरह के रिश्ते रहे हैं, उसे देखते हुए ऐसी खबरों पर यकीन करना मुश्किल है.