नेपाल ने भारत से 300 वस्तुओं के आयात पर लगाई पाबंदी, श्रीलंका जैसे हालात होने का सता रहा डर
आयात पर अंकुश लगाने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
श्रीलंका के बाद अब नेपाल में भी आर्थिक संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नेपाल के केंद्रीय बैंक ने नकदी की कमी और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का हवाला देते हुए वाहनों और अन्य लक्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। देश के केंद्रीय बैंक यानी नेपाल राष्ट्र बैंक (Nepal Rashtra Bank, NRB) ने पिछले हफ्ते यहां एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह निर्देश जारी किया है, जिसमें नेपाल के कमर्शियल बैंकों के अधिकारी भी शामिल थे।
नेपाल राष्ट्र बैक के प्रवक्ता गुनाखर भट्टा ने कहा कि मुख्यत: बढ़ते आयात के कारण हम प्रभाव देख रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में किसी तरह का संकट हो सकता है। इसलिए हमने उन वस्तुओं के आयात को रोकने पर चर्चा की है, जिनकी तुरंत आवश्यकता नहीं हैं।
जुलाई 2021 के बाद से नेपाल ने पर्यटन और निर्यात से कम आय के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखी है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2022 तक नेपाल का सकल विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2021 के मध्य में 11.75 बिलियन अमरीकी डालर से 17 प्रतिशत घटकर 9.75 बिलियन अमरीकी डालर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार अब केवल 6.7 महीने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के आयात को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है, जो केंद्रीय बैंक के कम से कम सात महीने के लक्ष्य से कम है।
हालांकि, भुगतान संतुलन के उच्च घाटे के बावजूद नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने आश्वासन दिया कि नेपाल श्रीलंका की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा है। शुक्रवार को काठमांडू में नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) द्वारा आयोजित 'अर्थशास्त्र और वित्त पर राष्ट्रीय सम्मेलन' को संबोधित करते हुए शर्मा ने अफवाहों को खारिज कर दिया कि नेपाल की अर्थव्यवस्था श्रीलंका की तरह पतन के कगार पर है। शर्मा ने कहा कि नेपाल की अर्थव्यवस्था की श्रीलंका से तुलना करके दहशत पैदा करने के बजाय, हमें इसे सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नेपाल की अर्थव्यवस्था उत्पादन और राजस्व प्रणाली के मामले में तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में है और देश विदेशी कर्ज के भारी बोझ से प्रभावित नहीं है।
शर्मा ने हालांकि स्वीकार किया कि पेट्रोलियम उत्पादों, वाहनों और लक्जरी वस्तुओं के उच्च आयात के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार दबाव में है और आयात पर अंकुश लगाने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।