अफगानिस्तान को लेकर आपातकालीन बैठक करेगा नाटो, 30 देशों के विदेश मंत्रियों होंगे शामिल
क्रोएशिया (2009), मोंटेनेग्रो (2017) और उत्तर मैसेडोनिया (2020)।
नाटो ने अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए शुक्रवार को 30 देशों के सैन्य गठबंधन के विदेश मंत्रियों की एक आपात बैठक बुलाई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेंस स्टोलटेनबर्ग करेंगे। यह जानकारी उन्होंने स्वयं ट्वीट करके दी।
मंगलवार को स्टोलटेनबर्ग ने अफगान संकट के लिए वहां के सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि नाटो को अपने सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की खामियों को भी दूर करना चाहिए। वर्ष 2003 से नाटो की सेनाएं अफगानिस्तान में थीं और इस दौरान उन्होंने तालिबानियों से सीधा मोर्चा लिया।
वर्ष 2014 से उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव किया और इसके लिए अफगान सेना को प्रशिक्षित करना शुरू किया। अरबों डालर खर्च करके दिए गए प्रशिक्षण के बावजूद अफगान सुरक्षा बल तालिबान के सामने टिक नहीं सके। स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो देशों के लगभग 800 कर्मचारी अभी भी अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं। यह मुख्य रूप से काबुल में एटीसी, ईधन भरने और एयरपोर्ट की संचार प्रणाली को दुरुस्त रखने का काम कर रहे हैं।
वर्तमान में नाटो के 30 सदस्य हैं। 1949 में इसके12 संस्थापक सदस्य थे: बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका। अन्य सदस्य देश हैं: ग्रीस और तुर्की (1952), जर्मनी (1955), स्पेन (1982), चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड (1999), बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया (2004) , अल्बानिया और क्रोएशिया (2009), मोंटेनेग्रो (2017) और उत्तर मैसेडोनिया (2020)।