नासा का अभियान: लेजर किरणों से आएगी अंतरिक्ष में नई संचार क्रांति
अंतरिक्ष में नई संचार क्रांति
अंतरिक्ष में संचार (Space Communication) करना एक बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है. जैसे-जैसे पृथ्वी से बाहर जाने वाले अंतरिक्ष यान चंद्रमा के बाद अब मंगल तक पहुंचने लगे हैं सुदूर अंतरिक्ष में संचार करना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. तमाम बाधाओं के बीच इस चुनौती से निपटने के लिए नासा (NASA) एक नई तकनीक का प्रदर्शन करने जा रहा है जो अंतरग्रहीय संचार के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी साबित होगी. माना जा रहा है कि इससे अंतरिक्ष संचार में नई क्रांति आ सकती है. नासा इसके लिए अगले महीने लेजर कम्यूनिकेशन रिले डिमॉन्स्ट्रेशन (LCRD) अभियान चलाने जा रहा है.
आसान नहीं होता अंतरिक्ष में संचार
अंतरिक्ष संचार शुरू से ही एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है. उपग्रहों से सीधा संपर्क सतत बनाए रखना एक चुनौती है. 4 दिसंबर को प्रक्षेपित होने जा रहा यह अभियान ऑप्टिकल संचार के अपनी विशेष क्षमताएं दर्शाएगा. यह संचार फिलहाल उपयोग में लाई जा रही रेडियो तरंगों से ज्यादा तीव्रता से काम करेगा. अभी रेडियो तरंगों से ही अंतरिक्ष एजेंसी ग्रहों या सूर्य की ओर जा रहे यानों से संचार करते हैं. लेकिन अब अंतरिक्ष अभियानों की संख्या बढ़ने से प्रभावी संचार माध्यमो की जरूरतें बढ़ गई है.
ऑप्टिकल संचार में क्षमताएं
एलसीआरडी अभियान ऑप्टिकल संचार में क्षमताएं बढ़ाएगा. उससे अंतरिक्ष में संचार करने वाली बैंडविथ में इजाफा होगा. इससे उपकरणों का आकार और भार कम होने के साथ उनके संचालन के लिए जरूरी ऊर्जा आवश्यकताओं में भी कमी लाई जा सकती है. यह अभियान स्पेस टेस्ट प्रोग्राम सैटेलाइट-6 (STPSat-6) अंतरिक्ष यान से प्रक्षेपित किया जाएगा जो अमेरिका के रक्षा विभाग के स्पेस टेस्ट प्रोग्राम अभियान का प्रमुख यान है.
क्या है यह एलसीआरडी अभियान
लेसर संचार का प्रदर्शन अपनी तरह का पहला एंड टू एंड लेजर रिले सिस्टम होगा. जो दिखाई ना देने वाली इंफ्रारेड लेजर के जरिए आंकड़ों का आदान प्रदान करेगा. इसकी गति 1.2 गीगाबाइट्स प्रतिसकेंड की होगी जिससे पृथ्वी से उसकी जियोसिंक्रोनस कक्षा के बीच संचार बेहतर हो सकेगा. नासा का कहना है कि यह नया सिस्टम बैंडविथ को रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम की तुलना में दस से सौ गुना बेहतर कर देगी.
पहले धरती से जाएंगे संकेत
एलसीआरडी उपकरण को रक्षा विभाग के स्पेस टेस्ट सैटेलाइट-6 पर लगाया जाएगा. एक बार कक्षा में पहुंचने पर इंजीनियर इसे सक्रिय करेंगे जिसके बाद डेटा इंफ्रारेड लेजर्स के जरिए प्रसारित किया जाएगा. लेजर भेजने से पहले इंजीनियर उसे जमीन पर स्थिति स्टेशनों से भेजने का परीक्षण करेगा.
सुदूर अभियान भी LCRD को भेजेंगे संकेत
यह डेटा परीक्षण पहले रेडियो तरंगों द्वारा मिशन ऑपरेशन सेंटर से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और उसके बाद एलसीआरडी अंतरिक्ष यान इसके जवाब में ऑप्टिकल संकेतों से आंकड़े वापस पृथ्वी की स्टेशनों पर भेजेगा. नासा का कहना है कि अंतरिक्ष में अभियान अपने आंकड़े एलसीआरडी को भेजेंगे जिसके बाद वह अपने आंकड़े अपने निर्धारित स्टेशनों पर भेजेगा.
यह होगा बड़ा फायदा
नासा ने बताया कि वह 1983 से संचार रिले सैटेलाइट पर काम कर रहा है, जब पहला ट्रैकिंग एंड डेटा रिले सैटेलाइट प्रक्षेपित किया गया था. लेकिन लेजर सिस्टम से अभियानों को पृथ्वी के एंटीना से सीधी रेखा में रहने की जरूरत नहीं होगी बल्कि एलसीआरडी डेटा के लिए एक सतत पथ बनाता चलेगा जो एक पूरा एंड टू एंड सिस्टम बना सकेगा.
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यह अभियान ऑप्टिकल संकेतों के जरिए बहुत तेजी से आंकड़े डाउनलोड करेगा. यह साल 2013 के लूनार लेजर कम्यूनिकेशन्स डेमोन्सट्रेशन की दरों की तुलना में दो गुनी दर होगी जिसमें चंद्रमा से 622 मेगाबिट्स प्रति सेकंड की गति से ऑप्टिकल संकेत आए थे. इस बार इंजीनियर एलसीआरडी से कैलिफोर्निया के टेबल पर्वत और हवाई के हैलीकल में संकेत हासिल कर सकेंगे.