इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को सोलर एरेज (Solar Arrays) के जरिए बिजली मिलती है. सोलर एरेज कई सारे सोलर पैनल (Solar panels) से मिलकर बना होता है. NASA अब ISS पर बिजली के लिए छह नए सोलर एरेज लगाने की तैयारी कर रही है.
NASA के छह नए सोलर एरेज में से पहले दो एरेज को एलन मस्क की कंपनी SpaceX ISS तक पहुंचाने वाली है. इन दोनों एरेज को SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट (Dragon Spacecraft) में लोड कर दिया गया है.
एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी इन्हें अपने अगले कार्गो रिसप्लाई मशीन के दौरान अंतरिक्ष में चक्कर लगा रही लेबोरेटरी तक पहुंचाएगी. NASA के मुताबिक, SpaceX का अगला कार्गो मिशन 3 जून को होने वाला है.
ये दोनों सोलर एरेज ISS पर हर दिन किए जाने वाले रिसर्च और वैज्ञानिक जांच के साथ-साथ अंतरिक्ष लेबोरेटरी को चलाने के लिए अतिरिक्त बिजली प्रदान करेंगे. इनके ISS पर पहुंचने पर एस्ट्रोनोट स्पेसवॉक करते हुए इन्हें ISS से इंस्टॉल करेंगे.
पृथ्वी का चक्कर लगा रहे ISS पर आठ सोलर एरेज लगे हुए हैं, जो सूर्य की रोशनी को सोखकर बिजली बनाते हैं और स्पेस स्टेशन को मुहैया कराते हैं. इसके जरिए यहां रिसर्च का कार्य किया जाता है. दूसरी ओर, स्पेस स्टेशन NASA के Artemis मून मिशन के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड का काम करेगा. ऐसे में इसे अधिक शक्तिशाली बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है.
बता दें कि सामान्य भाषा में कहें तो सोलर एरेज कई सारे सोलर पैनल का एक संग्रह होता है, जो बिजली पैदा करने वाला एक सिस्टम होता है. सूर्य की रोशनी पैनल पर पड़ती है और ये डायरेक्ट करेंट (DC) पैदा करती है. ये एरेज एक इंवर्टर सिस्टम से जुड़े होते हैं और इंवर्टर DC इलेक्ट्रिसिटी को अल्टरनेटिंग करेंट (AC) में बदल देता है.