NASA is Working on Ways to Measures Moon Dust: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने एक बार फिर इंसानों को चंद्रमा पर भेजने की योजना बनाई है. उसकी ये योजना आर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) का हिस्सा है. इस मिशन के जरिए नासा उन समस्याओं का हल खोजने की कोशिश भी करेगा, जो इससे पहले अपोलो मिशन (Apollo Mission) के दौरान सामने आई थीं. अपोलो मिशन के समय सबसे बड़ी समस्या जो आई थी, वह थी चंद्रमा की सतह पर मौजूद धूल. नासा को तब ये भी पता चला कि चंद्रमा वाली धूल धरती पर मौजूद उस धूल की तरह बिल्कुल नहीं है, जो दुनियाभर के घरों में पाई जाती है.
चंद्रमा की धूल हर ओर फैल जाती है, जिसमें हर जगह चिपकने की क्षमता होती है. इसे एकत्रित करके मापा नहीं जा सकता है. अपोलो मिशन के तहत नासा ने इस धूल को साफ करने के लिए एक विशेष वैक्यूम बनाया था, जो अंतरिक्षयात्रियों के स्पेससूट में लगा था (NASA on MoonDust). उस समय चंद्रमा की धूल के कारण इतनी परेशानी हुई कि इससे ये खास वैक्यूम ही टूट गया. ये धूल ना केवल वैक्यूम जैसे उपकरण के लिए घातक थी बल्कि अंतरिक्षयात्रियों को भी परेशान कर रही थी.
चांद पर भी होती है दिक्कत
अब इसी समस्या को खत्म करने के लिए नासा ये पता लगाएगा कि एक समय में स्थानीय वातावरण में चंद्रमा पर कितनी धूल मौजूद होती है. इसके साथ ही एजेंसी ये भी पता लगाएगी कि इन बातों का पता चलते ही धरती पर भी क्या सुधार किए जा सकते हैं. नासा का कहना है कि जैसे धरती की धूल के कारण इंसानों को परेशानी होती है, वैसे ही चंद्रमा की धूल अंतरिक्षयात्रियों को परेशान करती है. अपोलो मिशन के तहत नासा को पता चला था कि अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा की धूल के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, आखों से पानी आ रहा था और छीक आ रही थीं.
NextSTEP है प्रोग्राम का नाम
नासा ने कहा कि एक फिल्ट्रेशन सिस्टम के जरिए धूल के कणों को काफी हद तक हटाया जा सकता है. लेकिन एक एयर सेंसर भी काफी जरूरी है ताकि ये पता चल सके कि मिटिगेशन कंट्रोल वहां कैसे काम कर रहा है. अब नासा के स्पेस टेकनोलॉजीस फॉर एक्सप्लोरेशन पार्टनरशिप प्रोग्राम में सबसे ज्यादा ध्यान नए एयर क्वालिटी सेंसर पर दिया जा रहा है. इस प्रोग्राम को NextSTEP के नाम से जाना जाता है. प्रोग्राम का उद्देश्य सतह वाली जगह और ऑर्बिटिंग प्लैटफॉर्म पर धूल को मापना है.
पुराने उपकरण से बेहतर
कोलोराडो के डेनवर की कंपनी लूनर आउटपोस्ट इन्क. ने एयर क्वालिटी सेंसर विकसित किया है, जिसे स्पेस कैनेरी नाम दिया गया है. स्पेस कैनेरी को पर्यावरण कंट्रोल सिस्टम में एकीकृत किया गया है. यह पुराने उपकरणों से अधिक बेहतर है. स्पेस कैनेरी को कैनेरी-एस के तौर पर रीब्रांड किया गया है, इसका दाम भी कम है, इसमें वायरलेस एयर क्वालिटी है और पृथ्वी पर मौसम संबंधी निगरानी भी की जा सकती है. इसके सेंसर से विभिन्न प्रदूषकों को मापा जा सकता है, जिनमें कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बनिक यौगिक शामिल हैं. सेंसर से हर मिनट में एक सिक्योर क्लाउड में संदेश भेजा जा सकता है, जो डाटा के रूप में लूनर आधारित आउटपोस्ट वेब डैशबोर्ड पर पहुंच जाएगा. ताकि उसकी समीक्षा और विशलेषण किया जा सके.