NASA: रहस्यमय 16 साइकी ऐस्टरॉइड पर है खरबों की दौलत, वैज्ञानिकों ने किया अनमोल धातुएं की पुष्टि
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा को रहस्यमय 16 साइकी ऐस्टरॉइड पर इतनी ज्यादा अनमोल धातुएं मिली हैं।
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा को रहस्यमय 16 साइकी ऐस्टरॉइड पर इतनी ज्यादा अनमोल धातुएं मिली हैं. जिससे धरती का हर इंसान अरबपति बन सकता है। नासा के मुताबिक इस अथाह दौलत की कीमत 10,000,000,000,000,000,000 डॉलर है। नासा ने साइकी ऐस्टरॉइड के सतह की फिर से माप की है और उसके आधार पर यह ताजा अनुमान लगाया है। साइकी करीब 226 किमी चौड़ी चट्टान है जो ऐस्टरॉइड बेल्ट में सूरज के चक्कर लगाती है। यह ऐस्टरॉइड बेल्ट मंगल ग्रह और बृहस्पति के बीच स्थित है। इस इलाके में 10 लाख से ज्यादा अंतरिक्ष चट्टानें तैर रही हैं। नासा अनमोल धातुओं से भरे इस ऐस्टरॉइड की जांच के लिए वर्ष 2026 में एक अंतरिक्षयान भेजने जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसकी उत्पत्ति कैसे हुई।
चिली के रेडियो टेलिस्कोप से मिलीं अद्भुत तस्वीरें
कुछ अटकलों में कहा गया है कि यह किसी शुरुआती ग्रह का कोर है। नासा के इस मिशन में मदद के लिए कैलिफोर्निया के कालटेक यूनिवर्सिटी के एक दल ने साइकी ऐस्टरॉइड का एक नया तापमान नक्शा तैयार किया है ताकि उसके सतह के अंदर मौजूद चीजों का पता लगाया जा सके। इसके लिए चिली के रेडियो टेलिस्कोप का सहारा लिया गया है। इसके जरिए शोधकर्ताओं को 50 पिक्सल के रेजोलूशन की तस्वीर मिली है और इससे साइकी के बारे में और ज्यादा जानकारी मिली है। शोधकर्ताओं के दल ने यह पता लगाने में सफलता हासिल की कि साइकी की धातु की सतह कम से कम 30 फीसदी धातु से बनी है। यही नहीं साइकी की सतह पर मौजूद चट्टान भी कीमती धातुओं से बनी है। शोधकर्ताओं को आशा है कि इस ताजा जानकारी से नासा को अपने साइकी मिशन में बड़ी मदद मिलेगी। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA एक स्पेसक्राफ्ट तैयार कर रही है जो ऐस्टरॉइड 16 Psyche पर जाएगा। इस क्राफ्ट की टेस्टिंग अब आखिरी चरण में पहुंच गई है।
पूरी दुनिया की इकॉनमी से कई गुना ज्यादा कीमत
यह अंतरिक्ष यान अगले साल अगस्त में फ्लोरिडा के केप कनेवरल से SpaceX के Falcon Heavy रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाना है। यह क्राफ्ट सौर ऊर्जा से चलेगा और मंगल-बृहस्पति के बीच मुख्य बेल्ट में स्थित ऐस्टरॉइड 16 Psyche पर 2026 में पहुंचेगा। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक साइकी ऐस्टरॉइड में जितना धातु है वह पूरी दुनिया की इकॉनमी से कई गुना ज्यादा 10, 000 क्वॉड्रिलियन डॉलर (10,000,000,000,000,000,000 डॉलर) की कीमत का हो सकता है। यह क्राफ्ट 21 महीने तक ऐस्टरॉइड की मैपिंग करेगा और इसके फीचर्स को स्टडी करेगा। धरती से करीब 37 करोड़ किमी दूर स्थित यह ऐस्टरॉइड करीब 226 किमी चौड़ा है। न सिर्फ इसका आकार विशाल है बल्कि यह धातुओं से इस कदर बना है कि इसे अब तक खोजा गया सबसे मूल्यवान ऐस्टरॉइड माना जाता है। इसे सबसे पहले 1852 में खोजा गया था। हबल टेलिस्कोप को मिले डेटा के आधार पर यह धातु से बना है जबकि ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स में चट्टान या बर्फ ज्यादा होती है। माना जाता है कि इसमें लोहा और निकेल हो सकते हैं। इस आधार पर इसकी कीमत 10,000 क्वॉड्रिलियन डॉलर हो सकती है।
नासा बना रहा खास यान, करेगा खजाने की तलाश
ऐस्टरॉइड 16 साइकी कैसे बना, इसे लेकर एक थिअरी है कि यह किसी अविकसित ग्रह की कोर हो सकता है। इसकी मदद से ऐस्ट्रोनॉमर्स धरती और दूसरे ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं। JPL में स्पेसक्राफ्ट का सोलर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन चैसिस तैयार है जो किसी वैन के आकार है। यह क्राफ्ट का 80% हिस्सा होगा। अगले 1 साल में क्राफ्ट असेंबल हो जाएगा और फ्लोरिडा भेजने से पहले इसे टेस्ट किया जाएगा। नासा का यह मिशन उसके Discovery Program का हिस्सा है। इस प्रोग्राम के तहत कम कीमत के रोबॉटिक स्पेस मिशन तैयार किए जा रहे हैं। क्राफ्ट में ऐस्टरॉइड का चुंबकीय क्षेत्र नापने के लिए मैग्नेटोमीटर, उसकी सतह की तस्वीरें लेने के लिए मल्टिस्पेक्ट्रल इमेजर, सतह किस चीज से बनी है यह देखने के लिए उससे निकलने वाली गामा रेज और न्यूट्रॉन्स के अनैलेसिस के लिए स्पेक्ट्रोमीटर और हाई डेटा-रेट ट्रांसफर लेजर संपर्क के लिए एक्सपेरिमेंटल उपकरण लगे हैं।
तबाह हो सकती है पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था
साइकी ऐस्टरॉइड की अथाह कीमत से यह सवाल उठ सकता है कि इसे धरती पर लाना चाहिए लेकिन अगर ऐसा किया गया तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती पर ऐस्टरॉइड मटीरिअल के बाजार में आने से बेशकीमती धातुओं की कीमत अचानक गिर जाएगी। इस तरह की वस्तुओं का खनन, बिक्री करने वाली सभी कंपनियों की वैल्यू गिरने लगेगी और पूरा बाजार बिगड़ जाएगा। यहां तक कि अगर इस ऐस्टरॉइड का एक टुकड़ा भी धरती पर लाया जाता है तो इसे संभालना मुश्किल होगा।' हालांकि नासा की ऐसी कोई योजना है भी नहीं। माना जा रहा है कि अन्य चट्टानों के विपरीत साइकी 16 ज्यादातर लोहे और निकेल से बना है। नासा के इस अहम मिशन से ठीक पहले कालटेक यूनिवर्सिटी ने ऐस्टरॉइड की जांच की है। इससे साइकी का पहला तापमान नक्शा बनकर तैयार हो गया है। इससे साइकी के सतह के बारे में ताजा जानकारी मिली है।