शुक्र ग्रह के लिए NASA बना रहा है नया मिशन, सूक्ष्म जीवों की संभावना का पता लगाया जाएगा

तेज हवाएं अशांत बनाए रखती हैं , इन्हें गुरुत्वाकर्षण तरंग माना गया है ।

Update: 2021-06-04 02:43 GMT

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह के लिए नये मिशन की योजना बना रही है। बीते 30 साल में शुक्र के लिए उसका यह पहला मिशन होगा। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने बुधवार को बताया कि इसके लिए द विंची प्लस और वैरिटाज नाम के दो प्रोजेक्ट्स पर विचार हो रहा है। शुक्र को पृथ्वी का जुड़वां ग्रह कहा जाता है। दोनों का आकार, द्रव्यमान , संरचना लगभग एक जैसे हैं।

हमारी पृथ्वी उसके परिक्रमा पथ के सबसे निकट है। हालांकि पृथ्वी जहां मध्यम तापमान और अधिकतर हिस्से में पानी से युक्त है, वहीं शुक्र का वातावरण घनी कार्बन डाईऑक्साइड का बना है। यहां तापमान 900 डिग्री फेरनहाइट तक माना जाता है।
शुक्र के अध्ययन के लिए 1970 से 90 के दशक तक अमेरिका और सोवियत रूस ने मिशन भेजे, लेकिन बाद में अंतरिक्ष अध्ययन का ध्यान दूसरी जगहों पर केंद्रित हो गया।
जीवन के दावे के बाद केंद्र में शुक्र
एक बार फिर दुनिया की निगाहों में है क्योंकि पिछले वर्ष कई वैज्ञानिकों ने दावा किया कि इसके बादलों में सूक्ष्म जीव हो सकते हैं। यहां तापमान जीवन के लिए अनुकूल है और फॉस्फाइन तत्व होने का अनुमान भी लगाया जा रहा है जो जीवन की मौजूदगी में ही संभव है।
संभावित प्रोजेक्ट ऐसे चुने जा रहे
नासा ने डिस्कवरी प्रोग्राम के जरिए ग्रहों के छोटे मिशन के लिए वैज्ञानिक विचार मांगे थे। 4 विचारों को अंतिम सूची में जगह मिली। इनमें दो गैर-शुक्र ग्रह मिशन थे, जिनमें एक बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा आईओ के लिए था। यहां हमारे सौरमंडल के सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं। दूसरा ट्राइडेंट मिशन, नेपच्यून ग्रह के चंद्रमा ट्राइटन के लिए था।
द विंची प्लस
द विंची प्लस का लक्ष्य शुक्र ग्रह पर फॉस्फाइन की मौजूदगी पुख्ता करना है। इसके तहत एक अंतरिक्ष यान शुक्र के ग्रह के परिक्रमा पथ में भेजा जा सकता है। यान से एक उपकरण ग्रह पर जांच के लिए भेजा जाएगा, जो वातावरण में मौजूद तत्वों और गैस को सूंघ सकता है।
करीब 1 घंटे तक गिरते हुए महत्वपूर्ण जानकारियां भेजेगा। द विंची नाम दरअसल डीपर थर्मोस्फीयर ऑफ वीनस इन्वेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैसेस केमिस्ट्री एंड इमेजिंग का छोटा स्वरूप है।
इसमें लगा प्लस भविष्य में प्रोजेक्ट को और बढ़ाने की संभावना दर्शाता है। इसने अगर फॉस्फाइन की मौजूदगी का साक्ष्य पा लिय तो यह पृथ्वी के बाहर जीवन की मौजूदगी का पुख्ता साक्ष्य होगा।
वैरिटास
मिशन के तहत शुक्र पर यान भेजा जा सकता है। यह राडार व स्पेक्ट्रोमीटर की सहायता से ग्रह का त्रिआयामी भौगोलिक नक्शा तैयार करेगा और सतह की संरचना की पहचानेगा। ग्रह की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का भी मूल्यांकन करेगा जिससे गर्भ में मौजूद चीजों के बारे में अनुमान लगाया जा सके।
भारत भी बना रहा योजना
भारत और रूस भी इसी प्रकार के मिशन की तैयारी में हैं। वहीं यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी व प्राइवेट कंपनियां भी आने वाले वर्षों में शुक्र के लिए मिशन भेज सकती हैं। फिलहाल जापान का अंतरिक्ष यान अकात्सुकी इकलौता मिशन है, जो इस ग्रह की परिक्रमा करते हुए अध्ययन कर रहा है। अकात्सुकी के जरिए ही हम जान पाए कि ग्रह को तेज हवाएं अशांत बनाए रखती हैं , इन्हें गुरुत्वाकर्षण तरंग माना गया है ।

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