म्यांमार: इस तरह खाने के लिए मजबूर...सांप और चूहे खाकर कर रहे गुजारा

म्यांमार में मार्च में घातक नॉवेल कोरोना वायरस की पहली लहर आई थी जिसके कारण म्यांमार समेत पूरी दुनिया में लॉकडाउन लागू हो गया था।

Update: 2020-10-23 12:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| म्यांमार में मार्च में घातक नॉवेल कोरोना वायरस की पहली लहर आई थी जिसके कारण म्यांमार समेत पूरी दुनिया में लॉकडाउन लागू हो गया था। 36 वर्षीय मा सू (Ma Suu) को अपना सलाद स्टॉल बंद करना पड़ा और खाद्य सामग्रियों को खरीदने के लिए गहनों और सोने को गिरवी रखना पड़ा। दूसरी बार लॉकडाउन में जब यंगून के लिए सरकार ने सितंबर में लोगों को घरों के भीतर ही रहने का आदेश जारी किया तब मा सू को दोबारा अपने स्टॉल को बंद करना पड़ा और कपड़े और बर्तन तक बेचने पड़ गए।

जब कुछ बेचने को नहीं रहा तब पति के साथ झुग्गियों के पास बहने वाले नाले में खाना ढूंढने को मजबूर हो गये। आखों से बहते आंसू के साथ भूखी मा सू ने कहा लोग चूहे और सांप खा रहे हैं। कमाई बंद होने के कारण लोग इस तरह खाने के लिए लाचार हो गए हैं। यंगून के गरीब देशों में से एक हलंग थार यार (Hlaing Thar Yar) की यह विचलित करने वाली कहानी है जहां के लोगों के लिए यह कोविड-19 महामारी भूखों मरने की नौबत लेकर आया है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवारों के लिए चूहों, सांप व कीड़े मकोड़ों को खाना सामान्य है। दक्षिण एशिया में कोरोना वायरस के प्रकोप को झेलने वाले देशों में से एक म्यांमार है जहां अब तक कुल 40 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन ने सैंकड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया है। स्थानीय प्रशासन ने मिन टुन (Nay Min Tun) ने कहा कि उनके क्षेत्र में 40 फीसद लोगों को सहायता उपलब्ध कराई गई है।

उल्लेखनीय है कि इस माह की शुरुआत में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (Army Chief General MM Naravane) और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने म्यांमार (Myanmar) की नेता आंग सान सू ची (Aung San Suu Kyi) को 'रेमडेसिवीर' दवा (Remdesivir medicine) की 3000 से अधिक शीशियां सौंपी। जनरल नरवणे और श्रृंगला दो दिन के लिए म्यांमार दौरे पर थे। इस दौरे का उद्देश्य रक्षा और सुरक्षा (Defense and Security) समेत अनेक क्षेत्रों में संबंधों का और विस्तार करना है। म्यांमार सरकार की ओर से देश की जनता को जितना संभव है उतनी मदद प्रदान कराई जा रही है। 

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