2000 से ज्यादा लोगों की मौत, ऐसे मौत के मुंह में समाते गए

सरकार ने बताया कि उसने राहत कार्यों के लिए औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है।

Update: 2024-05-27 09:44 GMT
मेलबर्न: पपुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भीषण भूस्खलन में 2000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। सीएनएन ने देश के आपदा प्रबंधन विभाग के हवाले से इस बात की पुष्टि की है। बताया गया कि भूस्खलन के कारण मलबे में 2 हजार से ज्यादा लोग जिंदा दफन हो गए। सरकार ने बताया कि उसने राहत कार्यों के लिए औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है।
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने पापुआ न्यू गिनी में बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन से 670 लोगों की मौत होने की आशंका जताई थी। सरकार का आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी के आंकड़ों से करीब तिगुना है। संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक को रविवार को लिखे गए एक पत्र में दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र के राष्ट्रीय आपदा केंद्र के कार्यवाहक निदेशक ने कहा कि भूस्खलन में ‘2000 से अधिक लोग जिंदा दफन हो गए’ और ‘बड़ा विनाश’ हुआ।
भूस्खलन के बाद से हताहत हुए लोगों की संख्या का अनुमान व्यापक रूप से अलग-अलग है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारियों ने पीड़ितों की संख्या कैसे गिनी। ऑस्ट्रेलिया ने पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन स्थल पर मदद के लिए विमान और अन्य उपकरण भेजने की सोमवार को तैयारी की। पापुआ न्यू गिनी के पहाड़ी इलाकों में रात भर हुई बारिश के बाद यह आशंका पैदा हो गई है कि जिस कई टन मलबे में सैकड़ों ग्रामीण दबे हैं, वह खतरनाक रूप से अस्थिर हो सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने कहा कि उनके अधिकारी शुक्रवार से पापुआ न्यू गिनी के अपने समकक्षों के साथ बात कर रहे हैं। देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत में शुक्रवार को भूस्खलन हुआ था। इस भूस्खलन में मारे गए छह लोगों के शव बरामद हुए हैं।
यूएन को न्यू गिनी की सरकार की तरफ से लिखे गए पत्र में बताया गया है कि कम से कम 2 हजार लोग जिंदा दफन हो गए। इसके अलावा कई इमारतों, बगीचों को भी नुकसान पहुंचा है। इस भूस्खलन से देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान हुआ है। यह भूस्खलन राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर दूर एक सुदूर गांव में हुआ। बताया गया कि चार फुटबॉल के मैदान के बराबर की जमीन खिसक गई। इस मलबे में यांबाली गांव के करीब 150 घर दब गए। अधिकारियों का कहना है कि इस इलाके में अब भी खतरा बना हुआ है।
जानकारों का कहना है कि इतने बड़े क्षेत्र में भूस्खलन के बाद राहत-बचाव कर्मियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनके लिए यह तय करना मुश्किल है कि खुदाई कहां से शुरू की जाए जिससे लोगों को बचाया जा सके। अभी इस भूस्खलन की वजह से भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। कई जानकारों का कहना है कि इसके पूछे भूकंप वजह हो सकता है। वहीं जिस इलाके में भूस्खलन हुआ है वहां बारिश भी खूब होती है। ज्यादा बारिश को भी इसकी वजह बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि हो सकता है ज्यादा बारिश की वजह से कटाव हुआ हो औऱ उसकी वजह से पहाड़ी की जमीन खिसक गई हो।
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