Mining possible in space: वैज्ञानिकों ने 'वैनेडियम' का किया खनन, पढ़ें पूरी खबर
इंसान कई ग्रहों पर रहने वाली प्रजाति बनने के लिए उत्साहित है
इंसान कई ग्रहों पर रहने वाली प्रजाति बनने के लिए उत्साहित है. ऐसे में अन्य ग्रहों पर जाने या पृथ्वी (Earth) से परे लंबी दूरी की उड़ानों में जीवित रहने के लिए एस्ट्रोनोट्स (Astronauts) को जीवन को बरकरार रखने वाले तत्वों की जरूरत होगी. ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है, जो इंसानों को दूसरे ग्रहों तक जाने में मदद करने वाला है.
रिसर्चर्स ने पारंपरिक रूप से जरूरी भारी मशीनरी का इस्तेमाल किए बिना माइक्रोब्स (Microbes) से धातुओं का खनने करने में कामयाबी हासिल की है. इस प्रक्रिया को बायोमाइनिंग कहा जाता है. बायोमाइनिंग धातुओं के पारंपरिक खनन का एक विकल्प बनकर उभरा है.
अंतरिक्ष में यात्रा करने के दौरान एस्ट्रोनोट्स के पास भारी मशीनरी नहीं होगी. ऐसे में बायोमाइनिंग (Biomining) के जरिए एस्ट्रोनोट्स पृथ्वी पर स्पेस (Space) में मिले प्राकृतिक संसाधनों को भेजा बिना, वहीं पर उससे जरूरी सामग्री प्राप्त कर सकेंगे.
बायोमाइनिंग पत्थर अयस्कों या खदान के कचरे से सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके धातुओं को निकालने की प्रक्रिया है. मूल्यवान धातुएं आमतौर पर ठोस खनिजों में लिपटी हुई होती हैं. कुछ माइक्रोब्स उन धातुओं का ऑक्सीकरण कर सकते हैं, जिससे वे पानी में घुल सकते हैं. ऐसे में ठोस चट्टानों से अलग होने के बाद इन धातुओं को आसानी से हासिल किया जा सकता है.
रिसर्चर्स ने 'वैनेडियम' का खनन किया है, जिसे इमारतों, परिवहन और उपकरणों को मजबूत बनाने और जंग से बचाने के लिए स्टील में जोड़ा जाता है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के नेतृत्व में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर आयोजित बायोरॉक जांच की गई.
इस दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि माइक्रोब्स न केवल स्पेस में तत्वों का खनन कर सकते हैं, बल्कि कुछ माइक्रोब्स बदले हुए गुरुत्वाकर्षण वातावरण में बेहतर प्रदर्शन करते हैं. इन माइक्रोब्स पर चांद और मंगल के वातावरण वाले गुरुत्वाकर्षण में टेस्ट किया गया.