दुनियाभर में रोज में फेंके जा रहे लाखों मास्क व पीपीई किट, पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा

कोरोना महामारी पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा

Update: 2021-04-08 14:23 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  कोरोना महामारी पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा बन गई है। इससे बचाव के उपायों में सिंगल यूज मास्क व पीपीई किट सबसे अहम हैं। इनका करोड़ों की संख्या में रोज इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन इनके सुरक्षित ढंग से नष्ट करने की कोई रूपरेखा नहीं बनी है। खराब हो चुके मास्क दुनियाभर में जमीन, समुद्र व नदियों के लिए खतरा बन गए हैं। इन्हें चिकित्सा अपशिष्ट के रूप में नष्ट करने की बजाए इधर-उधर फेंका जा रहा है।

समुद्र तटों पर लगा अंबार

अमेरिका, ब्रिटेन, हांगकांग के समुद्र तटों पर फेंके गए मास्कों व दस्तानों का अंबार लग गया है। पिछले साल न्यू जर्सी से लेकर कैरोलिना के तट तक और ब्रिटेन से लेकर हांगकांग के समुद्र तटों तक कोरोना से बचाव के लिए इस्तेमाल किए गए निजी उपकरणों को फेंका गया।
कचरे की सूची में नए नाम
बुधवार को न्यू जर्सी के 'क्लीन ओशन एक्शन एन्वार्यनमेंट ग्रुप' ने उन वस्तुओं की सालाना सूची जारी की, समुद्र तटों पर मिलीं। इनमें प्लॉस्टिक, सिगरेट के टुकड़ों व खाने—पीने के पैक सामान के कचरे के अलावा मास्क व दस्ताने भी जुड़ गए हैं। ग्रुप के कार्यकर्ताओं ने सिर्फ न्यू जर्सी के तट से ही कोरोना से बचाव के 1113 मास्क व अन्य संबंधित वस्तुएं हटाकर नष्ट कीं।
समुद्री जीवन को बड़ा खतरा
'क्लीन ओशन एक्शन एन्वार्यनमेंट ग्रुप' के प्रमुख सिंडी जिफ ने कहा कि सही ढंग से पहने जाएं तो पीपीई किट जहां जीवन बचाते हैं वहीं यदि इन्हें गलत ढंग से समुद्र में फेंका जाएगा तो ये समुद्री जीवन के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। महामारी के कारण पीपीई किट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन उसे सही ढंग से नष्ट करना जरूरी है। यह बहुत मुश्किल काम नहीं है।
छह माह में एक लाख से ज्यादा पीपीई किट हटाए

ओशन कंजरवेंसी ग्रुप के अनुसार 2020 के पहले छह माह में ही विश्व भर में इस ग्रुप से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 1 लाख सात हजार से ज्यादा पीपीए किट को समुद्र तटों से हटाकर नष्ट किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। अब तक कितने पीपीई किट नष्ट किए गए होंगे और कितने समुद्र में बहा दिए गए होंगे।
आसान नहीं है पीपीई किट नष्ट करना
पीपीई किट को नष्ट करना आसान नहीं है। इसे डिस्पोजेबल पीपीई किट कहा जाता है, लेकिन यह अन्य सिंगल यूज प्लॉस्टिक की तरह काम करता है। यह पूरी तरह नष्ट नहीं होता, बल्कि छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर जाता है और अनिश्चित काल तक मौजूद रहता है।  ओशन कंजर्वेंसी ग्रुप के वरिष्ठ निदेशक निकोलस मल्लोस ने बताया कि हाल ही में किए गए अध्ययन में पता चला है कि एक डिस्पोजबल मास्क एक दिन में 1 लाख 73 हजार माइक्रोफाइबर के टुकड़ों में बिखर सकता है। इससे पता चलता है कि ये पर्यावरण के लिए कितना खतरा पैदा कर सकते हैं।
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