जीवित इंसान के फेफड़े में पहली बार मिला माइक्रोप्लास्टिक, टेंशन में आए वैज्ञानिक
इन सबको रोगियों की इलाज के दौरान इकट्ठा किया गया था। फेफड़ों में मिले माइक्रोप्लास्टिक 12 टाइप के पाए गए हैं।
वॉशिंगटन: दुनिया में पहली बार जीवित इंसान के फेफड़े में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics in Live Human Lungs) की खोज की गई है। वैज्ञानिकों ने शोध के आधार पर दावा किया है कि ये माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics in Human Lungs) सांस के जरिए फेफड़े तक पहुंचे हैं। इस शोध से पता चला है कि पृथ्वी की हवा किस हद तक प्रदूषित हो चुकी है। यूनिवर्सिटी ऑफ हल एंड हल यॉर्क मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने फेफड़े के सबसे गहरे हिस्से में प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े खोजे हैं। इनमें सबसे बड़े टुकड़े की लंबाई 5 मिलीमीटर तक मापी गई है। वैज्ञानिक अब इंसान के स्वास्थ्य पर प्लास्टिक के इन टुकड़ों के असर की जांच कर रहे हैं।
जीवित इंसानों के फेफड़ों में प्लास्टिक मिलने का पहला सबूत
पहले सांस के जरिए फेफड़ों तक प्लास्टिक के टुकड़ों का पहुंचना असंभव माना जाता था। तब वैज्ञानिकों को दावा होता था कि इंसानों के शरीर में नाक के जरिए हवा के अलावा कुछ नहीं जा सकता, क्योंकि सांस की नली काफी पतली होती है। हालांकि, इंसानी शवों के ऑटोप्सी में पहले भी फेफड़ों में प्लास्टिक के टुकड़े मिल चुके हैं, लेकिन यह पहली बार है जब किसी जीवित व्यक्ति के फेफड़े में प्लास्टिक मिला है।
सांस लेने के दौरान फेफड़े में पहुंचा प्लास्टिक
रिसर्च टीम ने बताया कि निष्कर्ष से पता चला है कि इंसानी शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स प्रदूषित हवा में सांस लेने से पहुंचा है। हालांकि, इसके स्वास्थ्य प्रभाव को लेकर अभी तक रिसर्च करना बाकी है। यह स्टडी सांइस ऑफ द टोटल इन्वायरमेंट नाम की एक जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है कि परीक्षण किए गए 13 फेफड़ों के टिश्यू के नमूनों में से 11 में 39 माइक्रोप्लास्टिक पाए गए। यह किसी भी पुराने लैब टेस्ट की तुलना में सबसे अधिक है।
फेफड़े में प्लास्टिक के बारे में किसी ने नहीं सोचा था
इस पेपर की मुख्य ऑथर लौरा सैडोफस्की ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक्स पहले मानव शवों के ऑटोप्सी के दौरान पाए जा चुके हैं। लेकिन, जीवित लोगों के फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक दिखाने वाली यह पहली मजबूत स्टडी है। इससे यह भी पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक फेफड़े के निचले हिस्से में मौजूद हैं। फेफड़ों की हवा वाली नलियां काफी पतली होती हैं, ऐसे में पहले किसी ने भी नहीं सोचा था कि प्लास्टिक यहां तक पहुंच सकता है।
फेफड़े में मिले 12 टाइप के प्लास्टिक
लौरा ने दावा किया कि इस स्टडी से मिले डेटा वायु प्रदूषण, माइक्रोप्लास्टिक और मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति प्रदान कर सकते हैं। इस शोध के लिए ईस्ट यॉर्कशायर के कैसल हिल अस्पताल के सर्जनों ने जीवित इंसानों के फेफड़ों से टिश्यू दिए थे। इन सबको रोगियों की इलाज के दौरान इकट्ठा किया गया था। फेफड़ों में मिले माइक्रोप्लास्टिक 12 टाइप के पाए गए हैं।