इटली में खुले में नमाज़ पढ़ने पर रोक लगाएगी मेलोनी सर्कार

Update: 2023-06-28 12:56 GMT
इटली | 9 महीने पहले ही इटली में आम चुनाव जीतने वाली और अक्टूबर में पदभार ग्रहण करने वाली इतावली पीएम जॉर्जिया मेलोनी का मुस्लिम विरोधी रूख अब खुल कर दिखने लगा है। इटली में कथित इस्लामीकरण से लड़ने के लिए मेलोनी सरकार पहला बड़ा कदम उठाने जा रही है। पीएम मेलोनी की एफडीआई पार्टी, जो इटली में मौजूदा गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है, ने मस्जिद के बाहर खुले में या फिर गैरेज और औद्योगिक गोदामों में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने के उद्देश्य से एक विधेयक का प्रस्ताव रखा है। इस बिल के पारित होने के बाद इटली में रहने वाले मुस्लिम मस्जिदों के बाहर किसी भी जगह पर नमाज नहीं पढ़ सकेंगे। इसके साथ ही सरकार ने देश में होने वाले धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए भी मसौदा तैयार किया है।
मसौदा कानून का उद्देश्य सार्वजनिक स्थलों को धार्मिक प्रार्थना स्थलों या मस्जिदों में बदलने पर रोक लगाना है। एफडीआई के नेता, टॉमासो फोटी जो इस बिल को लाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, उन्होंने दावा किया कि यह इटली में इस्लामीकरण को रोक देंगे। इस बिल पर फिलहाल संसद की पर्यावरण समिति में बहस चल रही है। हालांकि सरकार के इस कदम के बाद देश में विवाद शुरू हो गया है। सरकार को ग्रीन्स, लिबरल और भाषाई अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी सहित विभिन्न दलों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उनका दावा है कि नया बिल मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाएगा।
इटली में इस्लामिक समुदायों और संगठनों के संघ के अध्यक्ष यासीन लाफ्राम ने कहा, "यह बेतुका है। यह एक धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के खिलाफ है, राज्य को वास्तव में लोगों को किसी भी धर्म का पालन करने के अपने अधिकार का उपयोग करने की अनुमति देने वाली स्थितियां बनानी चाहिए।" इटली में रहने वाले मुस्लिम बेहद गरीब वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, ये चमकदार मस्जिद बनाने में असमर्थ हैं, ऐसे में इनके मस्जिद आम तौर पर पुराने कारखाने या भवन होते हैं।
वर्तमान में इटली में लगभग 5 फीसदी यानी कि 25 लाख मुसलमान रहते हैं। यदि यदि यह बिल पारित हो जाता है, तो इस कानून से इटली में सैकड़ों इस्लामी प्रार्थना स्थल बंद हो सकते हैं। आपको बता दें कि इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने अपने चुनावी अभियान के दौरान भी धर्म परिवर्तन समेत देश में मुस्लिम शरणार्थियों को रोकने के लिए कानून बनाने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार बनती है तो वे देश में मुस्लिमों के नए निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा देंगे।
इसके अलावा मेलोनी ने इमामों के लिए प्रोफेशनल कानून लेकर आने का वादा किया था। तत्कालीन विपक्षी नेता ने दावा किया था कि वे मस्जिद के भीतर होने वाली बातचीत को भी इटलायिन करने पर बाध्य करेंगी ताकि वहां जो भी बोला जा रहा हो, उसे हर कोई सुन सके।
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