पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला DSP, मिलिए मनीषा रुपेता से

महिलाएं पीड़ित हों वहां पर उनकी मदद करने वाली भी महिला ही होनी चाहिए।

Update: 2022-07-29 11:22 GMT

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आजादी के 75 साल बाद तक कोई भी हिंदू महिला DSP नहीं बनी थी। लेकिन पाकिस्तान के बेहद पिछड़े इलाके जकूबाबाद की रहने वाली मनीषा ने अपनी मेहनत से वह कर दिखाया है जो आज से पहले कभी नहीं हुआ था। मनीषा रुपेता (Manisha Rupeta) पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला डीएसपी हैं। पाकिस्तान में सिंध पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा को एक हिंदू लड़की के लिए पास करना एक बड़ी उपलब्धि है। मनीषा ने जिस मुकाम को हासिल किया है वहां तक पहुंचने के रास्ते में उनके सामने कई मुश्किलें आईं, लेकिन वह कभी रुकी नहीं और मेहनत से आगे बढ़ती रहीं।

मनीषा जब 13 साल की थीं, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। पिता की मृत्यु के बाद मनीषा की मां ने साहस दिखाया और बेहतर भविष्य के लिए पांच बच्चों के साथ कराची आ गईं। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए मनीषा कहती हैं कि जकूबाबाद में लड़कियों को पढ़ने-लिखने की इजाजत नहीं थी। अगर किसी को पढ़ना भी होता था तो उसके पास सिर्फ मेडिकल की पढ़ाई ही विकल्प होता था। मनीषा ने कहा कि उनकी तीन बहनें MBBS डॉक्टर हैं। उनका इकलौता और छोटा भाई भी मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है।

अपनी बहनों की ही तरह मनीषा ने MBBS की परीक्षा दी थी। लेकिन वह इसे कम नंबरों के कारण पास नहीं कर सकीं। बाद में उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थैरेपी की डिग्री हासिल की। लेकिन क्योंकि उन्हें पुलिस की वर्दी बहुत पसंद थी, इसलिए वह अपने घर में बिना किसी को बताए सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी करती रहीं। उन्होंने कड़ी मेहनत से परीक्षा में 16वीं रैंक हासिल की।

महिलाओं की स्थिति देख पुलिस में हुईं भर्ती
मनीषा ने कहा, 'मैंने देखा है कि महिलाएं आम तौर पर थानों और अदालतों के अंदर नहीं जाती हैं। यहां आने वाली महिलाएं पुरुषों के साथ आती हैं। मुझे उस धारणा को बदलना था कि अच्छे परिवारों की लड़कियां थाने में नहीं जातीं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मैंने इस प्रोफेशन को चुना है।' BBC की रिपोर्ट के मुताबिक जिस समाज में महिलाएं पीड़ित हों वहां पर उनकी मदद करने वाली भी महिला ही होनी चाहिए।

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