8 साल की बच्ची से रेप करने वाले मौलवी को मिली मौत की सजा, इतने लाख का जुर्माना भी लगा
दोषी के पास है मास्टर्स डिग्री
Cleric Gets Death Punishment in Pakistan: पाकिस्तान (Pakistan) के पेशावर में बाल संरक्षण न्यायालय (Child Protection Court) ने शनिवार को आठ साल की बच्ची के साथ यौन शोषण (Rape Case in Pakistan) करने के मामले एक मौलवी को दोषी ठहराया है. ये घटना दो साल पहले की है. मौलवी को मौत की सजा सुनाई गई है और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. मामले में फैसला सुनाते हुए जज वदीहा मुस्ताक मलिक ने कहा कि पेशावर में रहने वाले कारी सईद (Qari Saeed) को रेप करने का अपराधी पाया गया है और पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 376 (3) के तहत दोषी ठहराया गया था.
कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित बच्ची को शारीरिक और मानसिक पीड़ा हुई है, उसे जीवन में लंबे समय तक इस सदमे को सहना होगा, इसलिए दोषी को अनिवार्य रूप से पीड़िता को तीन लाख रुपये का जुर्माना देना चाहिए. ताकि वह ये पैसे बैंक में जमा करवा सके और 18 साल की उम्र होने पर इन्हें निकाल सके (Peshawar Rape Case). कोर्ट ने कहा है कि बच्ची के साथ रेप उस समय हुआ जब उसकी उम्र आठ साल थी. दोषी एक मस्जिद में पेश इमाम है, जिसने अपने कमरों में से एक में अपराध किया था.
दोषी के पास है मास्टर्स डिग्री
कोर्ट ने ये भी कहा कि दोषी व्यक्ति के पास इस्लामियत में मास्टर्स की डिग्री है और वह मस्जिद में शुक्रवार की नमाज कराता है. घटना को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है, बच्ची के साथ काफी निर्दयता की गई है (Pakistan Rape Case). पीड़ित बच्ची की गर्दन पर काटे जाने के निशान हैं. मामले में पुलिस स्टेशन में 14 मार्च, साल 2019 को एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. बच्ची के साथ उसके पिता थे, जिन्होंने ये शिकायत दर्ज करवाई थी. शिकायत में कहा गया था कि वह खुद (बच्ची के पिता) और परिवार के बाकी सदस्य भी उसके (दोषी) के घर पर मौजूद थे, जब बच्ची रोते हुए बाहर आई थी.
ताबीज के बहाने मस्जिद में बुलाया
बच्ची के पिता ने कहा कि कारी सईद ने उनकी बेटी को ताबीज देने के बहाने मस्जिद में बुलाया था लेकिन फिर उसे अपने कमरे में ले गया और उसके साथ यौन शोषण किया (Cleric Gets Death Punishment in Pakistan). दोषी ने आरोपों को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया था. साथ ही कहा था कि उसे अहमदिया समुदाय के इशारे पर मामले में फंसाया जा रहा है क्योंकि वह इस समुदाय के खिलाफ खुलकर बोलता है. हालांकि वह अपने दावों को साबित करने में नाकाम रहा. दोषी के बचाव में इतना तक कहा गया कि हो सकता है बच्ची को गलती से चोट लग गई हो और उसके साथ यौन शोषणा ना हुआ हो. लेकिन अभियोक्ता की ओर से कहा गया कि मामले में मौलवी ही दोषी है क्योंकि बच्ची उसे मस्जिद के कारी के तौर पर पहचानती है.