लाल मस्जिद के मौलाना ने किए बड़े खुलासे, पाकिस्तान में बेनकाब हुई तालिबानी राज की साज़िश

जिसमे मस्जिद और मदरसे के अंदर बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे.

Update: 2021-08-27 06:11 GMT

पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है. पाकिस्तान को इस बार बेनकाब किया है इस्लामाबाद के केंद्र में बने लाल मस्जिद के मौलवी मौलाना अब्दुल अजीज ने, जिसके अफगान तालिबान और तहरीके तालिबान पाकिस्तान के बड़े-बड़े सुरमा आतंकियों से गहरे रिश्ते रहे हैं. अफगान तालिबान, तहरीके तालिबान पाकिस्तान, अलकायदा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के साथ इस मस्जिद के रिश्ते रहे हैं. इस रिश्ते का खुलासा खुद मौलाना अजीज कर रहे हैं. तालिबान के बड़े आतंकियों के साथ इनके अतरंगता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है खुद मौलाना कहते हैं कि समय-समय पर वो तालिबान के आतंकियों को मशवरा भी देते रहे हैं.

ओसामा बिन लादेन और अलकायदा के आतंकियों से घनिष्ठ संबंध रखने वाले लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने एक लोकल चैनल को दिए इंटरव्यू में अपने कट्टरपंथी ऑनर दहशतगर्दी के मंसूबों के साथ-साथ पाकिस्तान की सरकार, फौज और पाक सुरक्षा एजेंसीज के बारे में कई खुलासे किए हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, मंत्री और राजनेता के कॉल गर्ल के साथ संबंधों पर बड़ा खुलासा किया है.
इमरान खान, बिलावल, शेख रशीद के कॉल गर्ल से संबंध
पाकिस्तान में कुराने-सुन्नत और शरिया कानून की पैरवी करते हुए अब्दुल अज़ीज ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान के वजीरे आज़म इमरान खान, नवाज़ शरीफ, बिलावल भुट्टो, आसिफ अली जरदारी और शेख रशीद वैश्यावृति में लिप्त रहे हैं और इसी वजह से इनमे से अधिकांश नेताओं ने शदियां नहीं की है.
मौलाना अब्दुल अजीज के अनुसार, "अगर अल्लाह-ताला पाकिस्तान में इस्लामी निजाम नफीस करें, तो सबसे पहले वजीरे आजम इमरान खान को शर्मसार करना पड़ेगा. इमरान खान साहब ने इतने 'जिना (बलात्कार या शादी शुदा होते हुए हुए गैर-महिला से संबंध बनाना) किए होंगे कि उनसे पूछो, इमरान तो इन्हीं कामों में लगे रहे हैं. आज ठीक है कि वह तौबा-तायब हुए हैं. बिलावल भुट्टो और नवाज़ शरीफ शादियां क्यों नहीं करता ? जरदारी शादी क्यों नहीं करता ? इसलिए कि इनको रोजाना नई शादी मिलती है और अभी टिक-टॉकर को फोन करते हैं, वहां से नई लड़की रोजाना मिल जाती है. तो अगर इस्लामी निजाम आ जाए तो यह वजीरे आजम सदर बड़े-बड़े लोग पहले इन्हें शर्मसार करना पड़ेगा. इनसे पूछो तुमने 'जिना' नहीं किया है. यह सारे 'जिना' में हैं. इसीलिए पूरी कौम को 'जिना' का अड्डा बनाया हुआ बदकारी का अड्डा बनाया हुआ है. आपको पता है एक साथी ने मुझसे कहा एक फोन लगाता हूं एक नहीं कितने मिल जाते हैं. तो यह निजाम किन्होंने बनाया हुआ है. कमर बाजवा साहब एक आर्डर करें यह सब खत्म होंगे कि नहीं होंगे."
अब्दुल अजीज ने आगे बताया कि "ये लोग तो शराब पीते हैं, इनको तो 80-80 कोड़े लगाने पड़ेंगे. यह कब चाहेंगे कि इस्लामी निजाम पाकिस्तान में आये. ये बस चाहते हैं कि कौम भी खुश रहे और अपनी अय्याशियां भी चलती रहें. शेख रशीद को सबसे पहले कोड़े लगेंगे. उसने शादी क्यों नहीं की इसीलिए नहीं की कि वो मजे उड़ाता रहे. अगर इस्लामी निजाम आए तो इन सभी को कोड़े लगेंगे. बिलावल भुट्टो समेत इन सभी को कोड़े लगने का हक है".
अब्दुल अजीज इंटरव्यू के दौरान पाकिस्तान के हुक्मरानो से अर्ज करते हैं, "इस्लामी निजाम लागू करो और अगर नहीं करोगे तो हम तो इंशा अल्लाह जिहाद को फर्ज समझते हैं. अभी दावती जिहाद कर रहे हैं यानी दावत दे रहे हैं और जरूरत पड़ी तो इंशाअल्लाह दूसरा जिहाद भी शुरू कर देंगे."
लाल मस्जिद और जामिया हफ्सा मदरसा पर फिर लहरेगा तालिबान, आईएसआईएस का झंडा
खैबर पख्तूनवा और वज़ीरस्तान के कबायली इलाके पाकिस्तान तालिबान (टीटीपी) का गढ़ रहा है, लेकिन इस्लामाबाद के बीचो-बीच स्थित लाल मस्जिद और जामिया हफ्सा मदरसा में जिस तरह पिछले हफ्ते तालिबान और आईएसआईएस का झंडा लहराया गया, उससे मौलाना अब्दुल अज़ीज़ की ताकत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है, हालांकि पाकिस्तान सरकार और एजेंसीज द्वारा पाकिस्तान में इस्लामी निज़ाम लाने के भरोसे के बाद झंडा उतार लिया गया.
मौलाना अज़ीज़ ने बताया कि "झंडा उतरवाने के लिए डीसी साहब आए थे, असिस्टेंट कमिश्नर भी आए थे और कई अप्सरान भी थे, हमने उनसे अर्ज किया कि हमने तो सिर्फ तालिबान के झंडे लगाए हैं, हमें तो उनका निजाम लाना है, हमने कहा पाकिस्तानी तालिबान को आप पसंद नहीं करते हैं, अफगानी तालिबान को तो आप भी पसंद करते हैं, आई एस आई भी पसंद करती है, तो हम अफग़ान तालिबान को दावत दे देते हैं वो पाकिस्तान आए और जो निजाम वहां चला रहे हैं, यहां चलाएं. उसके बाद उन लोगों ने कहा यह तो बड़ा मुश्किल है, उन लोगों ने कहा कि आप कुछ वक्त के लिए झंडा उतार दे. लेकिन मैंने कहा कि एक शर्त है शर्त यह है कि आप इस्लामी निजाम की तरफ से शिफ्ट करेंगे. वो कहने लगे कि ठीक है एक हफ्ता हमें दे दें इस्लामी निजाम के लिए अपने बड़ों से बात करेंगे, वजीरे आजम से बात करेंगे और उनसे कहेंगे कि आए और आपके साथ बैठे और उसकी तरफ पेश रफ्त करें" मौलाना ने धमकी देते हुए कहा है. "तीन-चार दिन तो हो चुके हैं 3 दिन बाकी हैं और अगर नहीं आएंगे तो फिर झंडा लहरा देंगे".
पूरी दुनिया में तालिबान राज हो
अफगानिस्तान में तालिबान के फतह से गदगद मौलाना ने पूरी दुनिया में तालिबान राज लाने के मंसूबे प्रकट करते होते अब्दुल अज़ीज ने कहा, "हम चाहते हैं कि यह अमीरात ए इस्लामी सिर्फ अफगानिस्तान में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो. अमीराते इस्लामी पाकिस्तान, अमीरात ए इस्लामी बांग्लादेश, अमीराते इस्लामी ईरान अमीरते इस्लामी इराक और कुवैत, सऊदी अरब सभी जगह अमीरात ए इस्लामी हो और यह इकट्ठे होकर मुत्ताहिदा अमीरात इस्लामिया हो जाए"
मौलाना अजीज ने कहा "तालिबान हमारे भाई हैं. हम उनके कुर्बानियों को सलाम पेश करते हैं, दुनिया के 50 से ज्यादा मुल्को को तालिबान ने शिकस्त दी है. हमारी दुआएं उनके साथ है और आरजू है कि अल्लाह ताला वह वक्त लाए कि तालिबान पूरी दुनिया पर छा जाए."
पाकिस्तान में इस्लामी निज़ाम नहीं आया तो खानाजंगी होगा
लाल मस्जिद के सरपरस्त अब्दुल अज़ीज ने कहा "पाकिस्तान का आईन (संविधान) इस्लामी नहीं है, यह कुफ्रिया आईन है, जिसका इस्लाम से कोई ताल्लुक ही नहीं है. अगर पाकिस्तान के हालात इतने सख्त बन रहे हैं और अगर पाकिस्तान ने इस्लामी निजाम नाफिज नहीं किया तो मुझे वह खाना जंगी पाकिस्तान में नजर आ रही है जिसमे बड़ी तबाही होगी और अल्लाह ना करें यहां लाखों अफराद मारे जा सकते हैं." पाकिस्तान में शरिया आधारित कानून की मांग करते हुए कहा कि कुरान ए सुन्ना के अनुसार गैर महिला के साथ संबंध बनाना और शराब पीने की 100 से 200 कोड़े मारने की है. पाकिस्तान के कानून में यह नहीं है.
कुरान कहता है कि तुम टेररिस्ट बनो
इस्लाम, कुरान और शरिया के बड़े ज्ञाता माने जाने वाले अब्दुल अज़ीज का दावा है कि "आतंकवाद की सीख खुद कुरान देता है. उनके अनुसार, "कुरान तो खुद कहता है कि तुम टेररिस्ट बनो. कुरान का हुकुम है आतंकवादी बनने के लिए अल्लाह के दुश्मनों के खिलाफ .अल्लाह वालों के खिलाफ नहीं, लोगों के खिलाफ नहीं, कुरान कहता है कि जो अल्लाह के दुश्मन है उनको डराओ और अल्लाह के दुश्मन कौन है ? पूरी दुनिया में ताहुत का निजाम चल रहा है."
जिहाद में दहशत गर्दी को जायज बताते हुए अब्दुल अज़ीज ने कहा "जिहाद का मैदान कोई आपस में खेल का मैदान नहीं होता. अमेरिका के बारे में तो किसी ने नहीं कहा कि जेट से बमबारी कर रहा था घर उड़ा रहा था."
"लाल मस्जिद में हम लोग किस चीज की मुतालबा कर रहे थे ? इस्लामी निजाम का. अल्लामा गाजी किस चीज की मुतालबा कर रहे थे ? फिर आपने उनको जवाब किस चीज से दिया पूरे मदरसे पर चढ़ दौड़े और भून दिया और लाशों को जला दिया और मदरसे को गिरा दिया और यही पूरे आपने वजीरिस्तान के इलाके में किया. आज भी ये जारी है. आज लाखों नौजवानों को उठा-उठा कर जुल्मों सितम का निशाना बना रही है हमारी एजेंसियां. जो दुनिया के किसी कानून में जायज नहीं है पाकिस्तान के कानून में भी जायज नहीं है".
कश्मीर भी अफगानिस्तान की तरह जिहाद
अफ़ग़ानिस्तान से कश्मीर की तुलना करते हुए मौलाना अज़ीज़ ने कहा "बिलावल भुट्टो, नवाज शरीफ, इमरान खान, कितनों के बेटे अफगानिस्तान में जिहाद के लिए गए. बिलावल भुट्टो कभी गया, पीपल पार्टी का कोई गया. इसे तो वह दहशतगर्दी समझते हैं. यह कश्मीर में भी जाने को दहशतगर्दी समझते हैं चलो अफ़ग़ानिस्तान तो ठीक है.मुस्लिम लीग के कितने लोग कश्मीर में लड़ने के लिए गए पीपल पार्टी के कितने गए ? तहरीक-ए- इंसाफ के कितने गए हैं ? फौजी जर्नलो के कितने बेटे गए हैं वहां लड़ने?"
फौजियों के बड़े-बड़े अफसरों के बेटे तालिबान बन रहे हैं
तालिबान में गहरी पैठ रखने वाले अब्दुल अज़ीज़ ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि फौजियों और मेजर जनरल और जर्नलो के बच्चे तालिबान बन रहे हैं. हमें खुद एक तालिबानी साथी ने बताया कि हमारे साथ फौजियों के बड़े-बड़े अफसरों के बेटे तालिबान बन रहे हैं.
तालिबान और आईएसईएस में तनाव है
अब्दुल अज़ीज़ ने बताया, "मैं तालिबान को भी बीच-बीच में समझाता रहता हूं. तालिबान भी इंसान है गलती हो सकती है. डायस भी कभी-कभी सख्ती अख्तियार कर लेती है. वो तालिबान के खिलाफ बोल देते हैं और तालिबान उनके खिलाफ बोल देते हैं मैंने उन दोनों को समझाया."
इस्लामाबाद के लाल मस्जिद का इस्लामी चरमपंथियों से संबंध करीब दो दशक पुराना रहा है.आईएसआई के मुख्यालय और उच्च सुरक्षा वाले रेड जोन से कुछ क़दमों की दूरी पर बने इस मस्जिद ने 1980 के दशक से राज्य के संरक्षण में उग्रवादी इस्लाम के उदय को प्रश्रय दिया. आतंक के साथ गठजोड़ के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई के कई कर्मचारी सदस्य वहां प्रार्थना के लिए आते-जाते रहे थे. आईएसआई ने इसका इस्तेमाल अफगानिस्तान और कश्मीर में लड़ने के लिए आतंकवादियों की भर्ती और लामबंदी के लिए किया. पाकिस्तानी सेना ने 2007 में लाल मस्जिद में एक बड़ी करवाई की थी, जिसमे मस्जिद और मदरसे के अंदर बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे.


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