नई दिल्ली (आईएएनएस)| लक्षद्वीप सहित दक्षिणी तट पर समुद्री जंतुओं के अवैध शिकार की प्रवृत्ति देखी जा रही है। खासतौर से समुद्री ककड़ी (सी कुकुम्बर) भारत में एक संरक्षित प्रजाति है, जिसका अवैध शिकार कैंटोनीज चाइनीज व्यंजनों के लिए किया जाता है।
कुछ हफ्ते पहले, भारतीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) के पास तमिलनाडु तट से 2.25 करोड़ रुपये मूल्य की 500 किलोग्राम से अधिक समुद्री ककड़ी जब्त की गई थी।
इस साल मार्च में तमिलनाडु पुलिस के तटीय सुरक्षा समूह (सीएसजी) ने नागपट्टिनम में 1,080 किलोग्राम समुद्री ककड़ी जब्त की थी, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपये है।
'भारत में समुद्री प्रजातियों का अवैध व्यापार : 2015-2021' शीर्षक से हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, "जनवरी 2015 और दिसंबर 2021 के बीच समुद्री प्रजातियों के अवैध व्यापार की कुल 187 घटनाएं हुईं।"
श्रीलंका और दक्षिणी भारत समुद्री संरक्षण संगठन 'ओशन्सएशिया' के अनुसंधान निदेशक टीले फेल्प्स बोंडारॉफ ने समुद्री अपराध के हॉटस्पॉट की ओर इशारा करते हुए आईएएनएस को बताया, "दोनों देशों के बीच कानून में अंतर है। साल 2001 में भारत ने समुद्री ककड़ी पकड़ने पर व्यापक प्रतिबंध लगाया। समुद्री ककड़ी भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत संरक्षित हैं।"
उन्होंने कहा, "इसके विपरीत श्रीलंका में समुद्री ककड़ी पकड़ने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। नतीजतन, अपराधी अक्सर समुद्री ककड़ी की तस्करी करने का प्रयास करते हैं। समुद्री ककड़ी को अवैध रूप से पकड़ते हैं और उन्हें दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों में बेचते हैं।"
बोंडारॉफ ने कहा कि स्वादिष्ट भोजन और पारंपरिक चीनी दवाओं के लिए समुद्री ककड़ी की काफी मांग के कारण समुद्री ककड़ी की कीमत बढ़ गई है। इसकी एक किस्म 'सफेद टीटफिश' 400 डॉलर प्रति किलो की दर पर बिकती है।