अफगानिस्तान के वर्तमान हालात को देखते हुए रूस के राष्ट्रपति ने कहा-ताकत से नहीं थोपा जा सकता लोकतंत्र

अफगानिस्तान के वर्तमान हालात

Update: 2021-09-03 16:13 GMT

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद की स्थिति को तबाही बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र को ताकत के दम पर नहीं थोपा जा सकता है। दरअसल, दुनिया से अमेरिकी प्रभुत्व को खत्म करने के लिए रूस इस समय तालिबान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है। रूस ने तो अफगानिस्तान में बनने वाली तालिबान सरकार को मान्यता भी देने का ऐलान किया हुआ है।

लोकतंत्र की जरूरत होगी तो वह अपने आप आएगा
ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए पुतिन ने कहा कि अगर लोगों को लोकतंत्र की जरूरत है तो यह स्वाभाविक रूप से उनके पास आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके निकाय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को वैश्विक व्यवस्था की रक्षा के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। सुरक्षा परिषद में अमेरिका, रूस समेत पांच स्थायी सदस्य शामिल हैं। जबकि 10 अस्थायी सदस्य हर दो साल पर बदलते रहते हैं।
अमेरिका की अफगानिस्तान में मौजूदगी से आई त्रासदी
पुतिन ने कुछ दिन पहले कहा था कि अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल लंबी उपस्थिति केवल त्रासदी का कारण बनी। तर्क दिया कि रूस को दक्षिणी एशियाई देश के विघटन में कोई दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि मॉस्को से बात करने वाला कोई नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में वर्तमान में चल रहे कई कट्टरपंथी आंदोलन रूस के पड़ोसियों और सहयोगियों के लिए खतरा हैं।
तालिबान को लेकर यह बोले पुतिन...
पुतिन ने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम के मंच से कहा कि "तालिबान आंदोलन सजातीय नहीं है, हालांकि इसमें ज्यादातर पश्तून जनजातियां शामिल हैं ...। इसके अलावा इस्लामिक स्टेट जैसे कई अन्य कट्टर संगठनों के प्रतिनिधि भी अफगानिस्तान में मौजूद हैं। बहुत से लोग, कट्टरपंथियों कों जेलों से रिहा किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान जितनी जल्दी सभ्य लोगों के तथाकथित परिवार में शामिल होंगे, उतनी ही जल्द उनसे संवाद करना, प्रभाव रखना और सवाल पूछना आसान होगा।
तालिबान को मान्यता देगा रूस?
15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संकेत दिया कि मास्को एक वैध अधिकार के रूप में आतंकवादी समूह को मान्यता देने की जल्दी में नहीं है। उन्होंने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार का आह्वान किया जो विभिन्न राजनीतिक ताकतों को देख सके। उनकी टिप्पणियों की हाल ही में मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने पुष्टि की है।
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