न्यूयार्क में खोला जाएगा दलाई लामा के नाम से पुस्तकालय, स्थापना में 37 करोड़ रुपये होगा खर्च
तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा की 86 वीं जन्म तिथि पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने उन्हें बधाई दी।
वाशिंगटन, तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा की 86 वीं जन्म तिथि पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने उन्हें बधाई दी। ब्लिंकन ने कहा कि दलाई लामा ने पूरी दुनिया को करुणा, समानता और साथ मिलकर चलने का संदेश दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भी दलाई लामा की जन्म तिथि पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनकी कृपा और करुणा ने हम सभी को प्रेरणा दी है। उनकी जन्म तिथि पर न्यूयार्क में एक पुस्तकालय स्थापित करने की भी घोषणा की गई। यह घोषणा न्यूयार्क के इथाका में नामग्याल मठ ने की। इस पुस्तकालय की स्थापना में खर्च होने वाले 50 लाख डालर (करीब 37 करोड़ रुपये) के लिए फंड इकट्ठा किया जाएगा। दलाई लामा पुस्तकालय के साथ ही अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी।
इथाका में नामग्याल मठ के अध्यक्ष तेनजिंग चोएसांग ने बताया कि दलाई लामा पुस्तकालय और अध्ययन केंद्र मानवता के लिए कार्य करेगा। यह पुस्तकालय 9240 वर्ग फीट एरिया में होगा। इसमें पिछले और वर्तमान सभी दलाई लामा के किए गए कार्यो की जानकारी मिल सकेगी। पुस्तकालय आनलाइन भी जनता के लिए उपलब्ध होगा।
मंगलवार को अपना 86वां जन्मदिन मनाने वाले 14वें दलाई लामा ने 1959 में तिब्बत संघर्ष विद्रोह के समय हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला को अपना मुख्यालय बनाया। चीन निर्वासित तिब्बती सरकार को मान्यता नहीं देता है और दलाई लामा पर तिब्बत को चीन से अलग करने की मांग करने का आरोप लगाता है। तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता दलाई लामा अलगाववादी होने से इन्कार करते हैं और कहते हैं कि वह केवल तिब्बत की मूल बौद्ध संस्कृति की पर्याप्त स्वायत्तता और संरक्षण की वकालत करते हैं।
दलाई लामा को बिना शर्त तिब्बत यात्रा की अनुमति दे चीन
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सदस्यों ने चीन सरकार से अपील की है कि वह दलाई लामा को बिना किसी शर्त के तीर्थ यात्रा पर तिब्बत जाने की अनुमति दे। पेंपा सेरिंग ने कहा कि दलाई लामा एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जो चीन व तिब्बत के संबंधों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आशा व्यक्त की कि दलाई लामा जल्द से जल्द तिब्बत की यात्रा करने में सक्षम हों। पेंमा से¨रग ने कहा कि दलाई लामा की जन्मतिथि पर वे सभी प्रण लेते हैं कि उनके बताए मार्ग पर चलकर तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।