ईस्टर के मौके पर लाहौर के पार्क पर आत्मघाती का सबसे बड़ा धमाका, 75 लोगों की मौत

जिसमें 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.

Update: 2021-03-27 03:33 GMT

पाकिस्तान (Pakistan) की पहचान आतंक के पनाहगाह के रूप में होती है. यहां आतंकी (Terrorist) खुलेआम बेझिझक घूमते हुए और रैलियां करते हुए नजर आते हैं. इसके लिए पड़ोसी मुल्क की दुनियाभर में आलोचना की जाती है. यहां अक्सर ही आतंकवादी अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना भी बनाते रहते हैं. वहीं, पाकिस्तानी सरकार आतंकियों की सेवा में जुटी रहती है और इसका खामियाजा यहां की निर्दोष जनता को भुगतना पड़ता है. पाकिस्तान ने गाहे-बगाहे आतंकियों को पालने की सजा भी भुगती है, जहां आतंकियों ने पाकिस्तानी नागरिकों को निशाना बनाकर हमला किया है.

ऐसी ही एक घटना आज ही के दिन 27 मार्च 2016 को ईस्टर के मौके पर हुई. दरअसल, लाहौर (Lahore) के सबसे बड़े पार्क गुलशन-ए-इकबाल (Gulshan-e-Iqbal Park) में इस दिन आत्मघाती धमाके हुए, जिसमें 75 लोगों की मौत हो गई और 340 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. ये धमाका ईस्टर (Easter) के मौके पर पार्क में इकट्ठा हुए ईसाई समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर किया गया. मरने वाले लोगों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे. इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान तालिबान (Pakistan Taliban) से संबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-अहरार (Jamaat-ul-Ahrar) ने ली.
आतंकियों ने खुद को बम से उड़ाया
ईस्टर के मौके पर बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय (Christian Community) के लोग पार्क में छुट्टियां मनाने पहुंचे हुए थे. बच्चों के लिए पार्क में झूले लगाए गए थे और वे उनपर खिलखिलाकर झूम रहे थे. लेकिन किसी को ये खबर न थी कि जल्द ही बच्चों की खिलखिलाहटों पर किसी की बुरी नजर लग जाएगी और ये चीख में तब्दील हो जाएगी. शाम के समय आतंकी विस्फोटक वाली वेस्ट पहनकर लोगों की भीड़ में घुसने लगे. इसके बाद शाम 6.30 बजे उन्होंने खुद को बम से उड़ाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते कई धमाके हुए और लोगों की लाशें पूरे पार्क में फैल गईं.
धमाके से उड़े लोगों के शव
चश्मदीदों ने बताया कि ये हमला पार्क के एंट्रेस गेट पर हुआ. धमाके के बाद यहां बच्चों की लाशों के टुकड़े बिखरे हुए थे. ये धमाका कितना जबरदस्त था, इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि कई शव उड़कर पेड़ों पर पहुंच गए. धमाके की गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी. स्थानीय लोगों ने बताया कि धमाके की आवाज बेहद ही तेज थी. धमाके के कुछ मिनट बाद पार्क में चीख-पुकार मच गई. लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे और खुद को सुरक्षित करने में जुट गए. एक चश्मदीद ने बताया कि पार्क में लोगों की भारी भीड़ थी. हमलोग कैंटीन से कुछ खाने का सामान लेने गए, तभी एक जोरदार धमाका हुआ. इसके बाद लोग चारों दिशाओं में भागने लगे.
पाकिस्तान की हुई हमले के लिए आलोचना
धमाके की जानकारी मिलते ही एंबुलेंस की 23 गाड़ियां मौके पर पहुंची और हताहत हुए लोगों को अस्पताल लेकर भागीं. लोगों से गुजारिश की गई कि वे आकर रक्तदान करें, ताकि मरीजों को इसे चढ़ाया जा सके. धमाके वाली रात करीब 300 लोगों को लाहौर के जिन्ना अस्पताल ले जाया गया. बाकी लोगों को शहर के अन्य अस्पतालों में भर्ती किया गया. इनमें से कई लोगों ने बाद में दम तोड़ दिया. राहत एवं बचाव टीम ने बताया कि कुल मिलाकर इस धमाके में 75 लोगों की मौत हुई और 340 लोग जख्मी हुए. इस घटना के बाद पाकिस्तान की दुनियाभर में आतंक को पालने के लिए आलोचना हुई.
चर्चों को पहले बनाया जा चुका था निशाना
लाहौर में हुए इस हमले को पाकिस्तान तालिबान से संबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-अहरार (Jamaat-ul-Ahrar) ने अंजाम दिया था. पाकिस्तान तालिबान 2015 में भी लाहौर के दो चर्चों में धमाके कर चुका था. ऐसे में इस हमले को लेकर लोगों में खासा रोष था. जमात-उल-अहरार के प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान ने बताया कि इस हमले के जरिए ईसाईयों को निशाना बनाया गया था. इस हमले के कारण दुनिया भर में पाकिस्तान की निंदा हुई और पूरे देश में राष्ट्रीय शोक मनाया गया. हमले के बाद पाकिस्तान ने दक्षिण पंजाब में व्यापक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया, जिसमें 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.


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