LAC के पास चीन की सैन्य क्षमता में होगी बढ़ोतरी, कई मोर्चों पर चल रहे काम

भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में कई महीनों से चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने कई मोर्चों पर चल रहे काम को तेज कर दिया है।

Update: 2021-02-08 13:51 GMT

भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में कई महीनों से चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने कई मोर्चों पर चल रहे काम को तेज कर दिया है। इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि चीन तिब्बत और उसके आसपास के क्षेत्रों में सैन्य और नागरिक सुविधाओं के निर्माण और विस्तार के लिए तेजी से काम कर रहा है। इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीन की सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी होगी। यह डेवलपमेंट उसके बाद सामने आया है, जब साल 2017-20 में चीन ने एलएसी के पास एयरबेस, एयर डिफेंस पॉजिशन्स और हेलीपोर्ट्स की संख्या दोगुनी से अधिक कर दी थी। इसको लेकर पिछले साल प्रमुख सिक्योरिटी और इंटैलिजेंस कंस्लटेंसी स्टार्टफोर ने रिपोर्ट पेश की थी।

लद्दाख के अलावा, भूटान और अरुणाचल प्रदेश की विवादित सीमा के साथ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बिल्ड अप और नागरिक सुविधाओं के निर्माण के सबूत बढ़ते जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में चीन ने गांवों के निर्माण करने का एक व्यापक अभियान शुरू किया है, जिसमें हजारों लोगों को बसाने का इरादा है। पिछले ओपन सोर्स सैटिलाइट इमेजरी सोर्स से पता चलता है कि चीन ने तिब्बत के प्रमुख शहरों और सैन्य केंद्रों के बीच संपर्क को बेहतर बनाने के लिए और सैनिकों और लॉजिस्टिक्स को कम समय में पहुंचाने के लिए काफी काम किया है।
चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की राजधानी के मुख्य एयरपोर्ट ल्हासा गोंगगर हवाई अड्डे पर सैन्य सुविधाओं में कई सुधार किए हैं। इसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल साइट, एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक साइट, एयरफोर्स के लिए सपोर्ट साइट, फाइटर जेट्स के लिए शेल्टर्स आदि को रिनोवेट करना या फिर निर्माण करना शामिल है। वहीं, ल्हासा एयरपोर्ट में भी सुधार किया गया है।
इसी दौरान, शिनजियांग में हॉटन एयरबेस- जोकि पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमांड का हिस्सा है और लद्दाख में एयर ऑपरेशन्स के लिए काफी अहम है- को भी अपग्रेड पिछले कुछ महीनों में अपग्रेड किया गया है। @detresfa_ द्वारा ट्वीट की गई सैटेलाइट इमेजरी के अनुसार, नए इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड का उद्देश्य सीधे साइट की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देना है। अपग्रेडेशन में नए रनवे, गोला-बारूद भंडारण आदि की सुविधाएं शामिल हैं जो सॉर्टीज को बढ़ाने में मदद करेगा और ज्यादा एयरक्राफ्ट्स होने पर एयरबेस पर भीड़-भाड़ की स्थिति को कम करेगा।
हॉटन एयरबेस में जे -11 और जे -20 लड़ाकू जेट्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक विमान, एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट्स और ड्रोन्स आदि हैं। इमेजरी से पता चलता है कि एयरबेस में पांच नए बंकर बनाए जा रहे हैं। पिछले साल मार्च में, चीन ने हॉटन और रुआकियांग को जोड़ने वाली 825 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के लिए ट्रैक बिछाना शुरू किया था। इसका गोलमुद-कोरला रेलवे लाइन और किंघई-तिब्बत रेलवे लाइन के साथ जुड़ने की उम्मीद है।
@detresfa_ ने अपने ट्वीट में कहा कि भारत के साथ मौजूदा सैन्य तनाव को देखते हुए, रेल संपर्क तिब्बती पठार और झिंजियांग में चीनी सेना के लिए लॉजिस्टिक को आसान करेगा। इससे तेजी से तैनाती हो सकेगी और भारी उपकरणों को सीमा तक ले जाया जा सकेगा। चीनी अधिकारियों ने ऐसी रेलवे परियोजनाओं के सामाजिक-आर्थिक लाभों की ओर इशारा किया है तो वहीं, एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके मजबूत सैन्य आयाम हैं। वहीं, वर्तमान में ही, चीन ने तिब्बत के पठार के तीसरे सबसे बड़े शहर गोलमुद जैसी जगहों पर सैन्य बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने में भी गति दी है। इमेजरी से पता चलता है कि चीनी प्रशासन अब 60 से अधिक हैंगर्स के साथ गोलमुद में एक बड़े हेलिपोर्ट का निर्माण कर रहा है।


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