एक महीने पहले ही नॉर्वे में पहुंच गया था कोविड-19, इस बात से चौंके शोधकर्ता

कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच विश्व स्वास्थ्य संगठन अभी कर ही रहा है

Update: 2022-01-29 10:42 GMT
कोरोना वायरस (Coronavirus) की उत्पत्ति की जांच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अभी कर ही रहा है. सबसे पहले यह वायरस चीन से निकला था और फिर दुनिया के अन्य देशों में फैला था. वायरस के प्रसार पर शुरू से ही निगरानी भी रखी जा रही है. अब नई पड़ताल के नतीजों ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी है इस अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 यूरोप (Europe) में पहला मामला दर्ज होने से पहले ही नॉर्वे में पहुंच गया था. शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोविड-19 की एंटीबॉडी दिसंबर 2019 में ही नॉर्वे में विकसित हो गई थीं जबकि यूरोप में पहला कोविड-19 संक्रमण तो उसके एक महीने बाद ही पाया गया था.
चौंकाने वाली बात
आहुस के अकेशुहुस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं की टीम ने हाल ही में अपने अध्ययन में यह चौंकाने वाली बात पता लगाई है. उनका कहना है कि यह नई पड़ताल दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी के इतिहास को बदल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 31 दिसंबर 2019 को चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने दुनिया को सबसे पहले बताया था कि हुबेई प्रांत के वुहान में एक साथ बहुत सारे निमोनिया के मामले पाए गए हैं.
पहले चीन फिर यूरोप
इसी के आधार पर चीन से ही नोवल कोरोना वायरस से संक्रमण की पहचान की गई थी. फिर जनवरी 2020 में यूरोप में कोविड-19 का पहला मामला पाया गया था. रिपोर्ट में कहा गयाथा कि उसी साल 24 फरवरी तक नॉर्वे में वायरस नहीं फैल पाया था. लेकिन आहुस शोधकर्ताओं की पड़ताल ने यह विचित्र जानकारी पाई है.
कैसे पता चला
वैश्विक समाचार एजेंसी स्पूतनिक इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं की खोज उसी समय की है जब चीन में पहला प्रमाणित मामला पाया गया था. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पहले से जमा किए हुए खून के नमूनों में एंटीबॉडीज की खोज की थी. ये नमूने उस समय एक गर्भवती महिला से लिए गए थे और संक्रामक बीमारी के जांच के लिए जमा कर रखे गए थे.
गंभीरता से लेने की जरूरत
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उस समय लिए गए 6520 नमूनों मेंसे 98 में एंटीबॉडी पाई गई थी. शोधकर्ताओं का कहन है कि कुछ मामलों में फॉल्स पॉजिटिव के नतीजे होने के बाद भी इस पड़ताल को गंभीरता से लेने की जरूरत है. आहुस के प्रोजेक्ट मैनेजर का कहना है कि ऐसे बहुत सारे संकेत हैं कि ये मामले विदेश में संक्रमित हुए था.
और नहीं हैं ऐसे अध्ययन
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये नतीजे बताते हैं कि जितना हम समझ रहे हैं संक्रमण दुनिया के बड़े हिस्सों में पहले से फैल गया था. ऐसे कुछ ही देश होंगे जिन्होंने अपनी जनसंख्या के स्तर पर कुछ खून के नमूने जमा कर रखे होंगे. इसी लिए इस तरह के अध्ययन या तो नहीं हैं या फिर बहुत ही कम हैं.
पहले से फैल रहा होगा
कोरोना वायरस इटली में भी जितना समझा जा रहा है उससे पहले फैल गया था. नवंबर 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि नया कोरोना वायरस चीन के वुहान में फैलने से पहले अनजान था, लेकिन यह भी संभव है कि वायरस चुपके से दूसरी जगहों पर फैल रहा हो.इटली में पहला मामला 21 फरवरी 2019 को मिलान के पास छोटे शहर में पाया गया था.
रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इटली में सितंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक बहुत सारे स्वस्थ लोगों में, जिन्होंने फेफड़े के कैंसर की जांच के लिए पंजीकरण कराया था, कोरोना वायरस की एंटीबॉडी विकसित कर ली थी. इस अध्ययन ने इस बात पर सवाल उठाएं हैं कि कोविड संक्रमण की पड़ताल करते समय में अलाक्षणिक संक्रमितों को कितनी गंभीरता से लिया गया था.
Tags:    

Similar News

-->