ऐसे पीड़ितों के शवों को सामूहिक कब्रों में दफनाया गया था. कोसोवो के अधिकारियों ने सर्बिया पर उन जगहों तक पहुंच नहीं देने का आरोप लगाया जहां सामूहिक कब्रों में कई लोगों को एक साथ दफनाया गया है. इंतजार में बुजुर्ग हो गए माता-पिता 82 साल के मुस्लिम अल्बानी जिरकिनी कहते हैं, "मेरे परिवार में युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है" उनके बेटे रेशट अब भी लापता हैं. वे कहते हैं, "मेरी पत्नी अभी भी रात में उसके कदमों की आवाज सुनती है" युद्ध समाप्त होने के कई सालों तक कई देशों के फॉरेंसिक विशेषज्ञ उन कब्रों पर मृतकों की पहचान करने में व्यस्त रहे, जिन्हें पहुंच दी गई थी और मृतकों के अवशेषों को पहचानने के बाद वारिसों को सौंप दिया गया था. इन व्यक्तियों की पहचान के बाद उनका विवरण युद्ध अपराध दस्तावेजों में भी दर्ज किया गया था. कोसोवो के अधिकारियों का कहना है कि 1,600 से अधिक लोग अब भी लापता हैं.
कोसोवो के नागरिक अभी भी उनके अवशेषों की लौटाने की मांग कर रहे हैं. युद्ध के बाद एक हजार से अधिक लापता मृतकों की पहचान की गई थी. सर्बिया और कोसोवो के बीच कई अनसुलझे मुद्दों में लापता व्यक्तियों की तलाश भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. सर्बिया ने अभी तक कोसोवो को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं दी है जबकि अमेरिका समेत कई पश्चिमी और अन्य देशों ने कोसोवो के साथ द्विपक्षीय संबंध स्थापित किए हैं. जिरकिनी और उनकी पत्नी जैसे और भी कई परिवार हैं, जो अपनों की वापसी का इंतजार कर रहे हैं. जिरकिनी जैसे लोगों का कहना है कि उनके लापता बच्चों की वापसी की उम्मीदें धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं.
बोस्निया में लापता लोगों की तलाश कोसोवो का पड़ोसी बोस्निया अभी भी लापता लोगों की तलाश कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि वे सेरेब्रेनित्सा में और अधिक सामूहिक कब्रें ढूंढ पाएंगे. सेरेब्रेनित्सा में लगभग 8,000 मुस्लिम पुरुष और किशोर सर्बियाई सेना द्वारा मारे गए थे. सेरेब्रेनित्सा मेमोरियल सेंटर के प्रवक्ता अल्मासा स्लेहवोविच ने कहा कि अधिक सामूहिक कब्रों को खोजना मुश्किल होता जा रहा है, लेकिन एक हजार लापता लोगों के अवशेष अभी भी खोजे जा रहे हैं. कोसोवो की राजधानी प्रिस्टिना में एक प्रदर्शनी का शीर्षक है "ए टूंब बेटर दैन अ मिसिंग ग्रेव" यहां एक डिजिटल घड़ी लगी है जो यह बता रही है कि कितने घंटे और मिनट बीत चुके हैं जब परिवार ने आखिरी बार अपने प्रियजनों को देखा था. प्रदर्शनी के आयोजक ड्रिटॉन सलमानी कहते हैं, "लापता लोगों के परिवार अपने मृतकों को दफनाए बिना मरना नहीं चाहते हैं"